अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा पर रोक के लिए हाईकोर्ट में लगी याचिका, पढ़ें पूरी खबर

सनातन धर्म के अगुवा शंकराचार्यों की ओर से इस पर आपत्ति उठाई गई है। दूसरा, पूस महीने में कोई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते हैं। 25 जनवरी 2024 को पूर्णिमा है।

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अयोध्या में रामलला (Ram Mandir Pran Pratistha) की प्राण प्रतिष्ठा पर रोक के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को याचिका लगाई गई है। याचिकाकर्ता गाजियाबाद के भोला दास हैं। उन्होंने शंकराचार्यों की आपत्तियों का हवाला देते हुए इसे सनातन परंपरा के खिलाफ बताया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव का लाभ उठाने के लिए यह कर रही है। याचिका पर तुरंत सुनवाई की मांग की गई है।

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याचिका में कहा गया है कि अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है। वहां पर निर्माणाधीन मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। यह प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया जाएगा और इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो रहे है, जो कि गलत है। यानी ने अपनी जनहित याचिका में इसके लिए कई आधार बताए हैं। याची की ओर से कहा गया है कि यह प्राण-प्रतिष्ठा गलत है।

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क्योंकि, सनातन धर्म के अगुवा शंकराचार्यों की ओर से इस पर आपत्ति उठाई गई है। दूसरा, पूस महीने में कोई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते हैं। 25 जनवरी 2024 को पूर्णिमा है। पूर्णिमा तक को धार्मिक आयोजन नहीं होते हैं। तीसरा, मंदिर अभी निर्माणाधीन है। लिहाजा, मंदिर अभी अपूर्ण है। अपूर्ण मंदिर में किसी भी देवी, देवता की प्राण- प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है। देवी-देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा पूर्ण मंदिर में होती है।

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इसके अलावा पीएम और सीएम योगी का इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होना संविधान के खिलाफ है। क्योंकि, देश का संविधान भाईचारे को बढ़ावा देने वाला है। पीएम और सीएम के ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होने से देश के भाईचारे की भावना को झटका लगेगा, जो कि सही नहीं है।

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याची अधिवक्ता अनिल कुमार बिंद ने बताया कि पीएम मोदी के कार्यक्रम पर रोक लगाने वाली जनहित याचिका मंगलवार को दाखिल हो गई है। कोशिश की जाए‌गी कि उस पर हाईकोर्ट जल्दी सुनवाई कर याचिका स्वीकार कर ले।

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