जेट और किंगफिशर के बाद पवन हंस पर गहराया आर्थिक संकट, सामने आए कई कारण

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नई दिल्ली: बीएसएनएल, एयर इंडिया और इंडिया पोस्ट के बाद अब सरकारी हेलीकॉप्टर कंपनी पवनहंस भी आर्थिक संकट में आ गई है। कंपनी के पास अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने के भी पैसे नहीं है। एएनआई के अनुसार, पवन हंस प्रबंधन ने 25 अप्रैल को अपने कर्मचारियों को एक नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह पवन हंस की संकटग्रस्त आर्थिक स्थिति के कारण कर्मचारियों को अप्रैल महीने का वेतन जारी कर पाने की हालत में नहीं है।

नोटिस में कहा गया, ‘कंपनी के पूरे प्रदर्शन की समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि कंपनी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। कंपनी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है और भविष्य भी अस्थिर नजर आ रहा है क्योंकि कंपनी के पुराने व्यापार और साथी अब आने वाले समय को लेकर संशय में हैं। वित्त वर्ष 2018-2019 में कंपनी की आर्थिक हालत काफी खराब हो गई है और कंपनी 89 करोड़ रुपये का घाटा झेल रही है।’

कंपनी ने बताया कि कंपनी की कमाई दिनों दिन गिर रही है वहीं खर्चे बढ़ गए हैं, खासकर कर्मचारियों पर होने वाले खर्च। यह परिस्थिति तब और विकट नजर आती है जब पवन हंस के कई ग्राहकों ने पुराना बकाया नहीं चुकाया है जो करीब 230 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

कंपनी ने कहा कि इस खराब आर्थिक हालात को देखते हुए कंपनी ने यह निर्णय लिया है कि अप्रैल माह के लिए कर्मचारियों के वेतन को रोक दिया जाए और यह स्थिति तब तक बरकरार रहेगी जब तक देनदारों से 60 प्रतिशत बकाया वसूल न लिया जाए। इससे लेनदारी 100 करोड़ रुपये के नीचे आ जाएगी।

इस मामले पर पवन हंस कर्मचारी संघ ने कहा कि कर्मचारियों के वेतन को रोकना अमानवीय है। कर्मचारियों के वेतन को अभी बढ़ाया जाना था और ऐसे में इसे रोक दिया गया है। वहीं कंपनी के कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जिन्हें एरियर दिया गया है।

संघ ने कहा कि प्रबंधन के इस फैसले के खिलाफ हम प्रदर्शन के तौर पर काला रिबन बांध कर काम करेंगे। साथ ही संघ ने प्रबंधन को सीबीआई और कैग के पास इसकी शिकायत करने की धमकी भी दी है। बता दें कि पिछले साल सरकार ने पवन हंस की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के फैसले को वापस ले लिया था। फिलहाल पवन हंस के पास 46 हेलीकॉप्टरों का बेड़ा है।

रोहिणी हेलिपोर्ट भी कारण
जानकारों का कहना है कि कंपनी की माली हालत खराब होने में रोहिणी हेलिपोर्ट (दिल्ली) पर लगाए गए करीब 125 करोड़ रुपये भी बड़ा कारण रहे। हेलिपोर्ट शुरुआत में कुछ दिन चला, फिर उसे शटडाउन कर दिया गया। इससे एक रुपये की भी कमाई नहीं हो रही है। सैलरी नहीं मिलने से कर्मचारी अपने बच्चों के स्कूल और कोचिंग आदि की फीस नहीं भर पा रहे हैं। बता दें, अभी हाल ही में जेट एयरवेज आर्थिक तंगी से गुजर रही है। उससे पहले  किंगफिशर के साथ भी ऐसा ही हुआ था।

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