बदलती लाइफ स्टाइल और प्रदूषण से 2 साल में बढ़े एक लाख मरीज

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राजस्थान: प्रदेश में एलर्जी के केस आश्चर्यजनक रूप से बढ़े हैं। आंकड़े चौंकाने वाले हैं। हर साल 50 हजार से अधिक मरीज एलर्जी के बढ़ रहे हैं। हिन्दी न्यूजपेपर के अनुसार, यही हालत रहे तो आने वाले वर्षों में कैंसर, कार्डियक, अस्थमा के बाद एलर्जी के सबसे अधिक केस सामने होंगे। डॉक्टर्स के अनुसार वजह कई हैं लेकिन इनमें लाइफ स्टाइल, प्रदूषण सबसे बड़े कारक हैं। अकेले एसएमएस अस्पताल में ही केवल जनवरी माह में 27 हजार से अधिक केस सामने चुके हैं। वर्ष 2016 में 3,48,436 केस चुके हैं।

फंगल इंफेक्शन
इस एलर्जी में हाइजीन, ना नहाने, पसीने, टाइट कपड़े आदि की वजह से गोल चकत्ते, दाद आदि हो जाते हैं। एसएमएस में जवाहर नगर कच्ची बस्ती, झालाना, विद्याधर नगर की कच्ची बस्ती, दिल्ली रोड पर ईदगाह, भट्टा बस्ती आदि के लोग ज्यादा रहे हैं।

हेयरलॉस
शहर में सांगानेर, सीतापुरा और आस पास के गांवों में जहां फ्लोराइड और हार्ड पानी की मात्रा अधिक है वहां लोगों में हेयर लॉस की प्रॉब्लम ज्यादा रही है। यह स्ट्रेस लेवल बढऩे और डाइट डेफिसिएंसी, प्रोटीन की कमी, एक्सरसाइज आदि की कमी से भी है।

मुहासे
मुहासे मेल, फीमेल दोनों को हो रहे हैं। खास बात ये है कि ये प्रॉब्लम पहले 14 साल की उम्र के बाद ही होती थी लेकिन अब 9 साल के बच्चे से ही शुरू हो जाती है। इसका कारण स्ट्रेस, हार्मोनल चेंजेज, कॉस्मेटिक्स यूज, फास्ट फूड का चलन, दूध में हार्मोन की प्रेजेंस, कई चॉकलेट्स आदि होते हैं।

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स्केबीज
इसेछूत की खुजली भी कहते हैं जो कि परकोटा क्षेत्र में देखने को मिल रही है। इस एलर्जी से मरीज की उंगलियों के बीच, पेशाब की जगह, पेट पर दाने हो जाते हैं। रात को खुजली चलती है। यह मुख्यत: भीड़ भाड़ वाली जगह और कपड़े, बिस्तर आदि शेयरिंग से होती है। डॉक्टर्स के अनुसार इसमें सारे घरवालों को एक साथ दवाई दी जाती है। साथ ही घर के कपड़े गरम पानी में धोकर धूप में डालकर उल्टा प्रेस करवाते हैं।

इनकी वजह से होती है एलर्जी

पार्थीनियम डर्मेटाइटिस- ये खेतों में झाड़ियों के रूप में उगने वाली गाजर घास या कांग्रेस घास से होती है। इसके पराकरण से हाथ-पैर आदि पर खुजली हो जाती है और खुजाने से चमड़ी मोटी हो जाती है। पौधे को जलाना ही इसका समाधान है।

सीमेंट डर्मेटाइटिस- विभिन्नस्थानों पर सीमेंट का कार्य करने वाले लोगों को सीमेंट में उपस्थित क्रोमियम से हाथों में एलर्जी हो जाती है खुली जगह पर खुजली और पानी निकलता है चमड़ी मोटी हो जाती है ना सो पाते हैं और ना उठ पाते हैं।

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हाउसवाइव्स डर्मेटाइटिस- साबुन,डिटर्जेंट के एल्कलीज, सब्जियों में ऑर्गेनिक एसिड, मिट्टी में मौजूद यूरिया और फर्टीलाइजर आदि से ये एलर्जी होती है। जिससे महिलाओं के हाथ की उंगलियों में दाने हो जाते हैं। पानी निकलता है और काले निशान हो जाते हैं।

धूप की एलर्जी- अल्ट्रावायलेट रेडिएशन के एक्सपोजर से खुली जगह में लाल निशान होकर खुजली और चमड़ी मोटी हो जाती है। ये एलर्जी लेडीज में ज्यादा मिलती है ये ही किरणें कुकिंग गैस के लॉ में, ट्यूबलाइट, सीएफएल, कम्प्यूटर्स आदि में भी होती है। इससे बचने को सनक्रीम, पूरे ढके कपड़े पहनना, जिले एलर्जी हो उसे सभी एलर्जी सोर्स से बचाव करना पड़ता है। ये सर्दियों में ज्यादा होती है।

साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर- स्किनपर यह प्रॉब्लम ब्रेन के किसी भी विकार के कारण होती है। स्ट्रेस में दिमाग से इफैक्ट स्किन पर पड़ता है। इसके अलावा न्यूरो डर्मेटाइटिस, प्रूराइगो आदि एलर्जी भी जयपुर में काफी देखने को मिल रही है।

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