नई दिल्ली: 30 मई को राष्ट्रपति भवन में हुए नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह में शपथ लेने के लिए आए ओडिशा के मोदी नाम चर्चित सासंद प्रतापचंद्र सारंगी अब अपनी बीती जिंदगी के कारण चर्चा में आ गए हैं। जहां कल तक सारंगी को सोशल मीडिया और अन्य मीडिया चैनलों में ईमानदार और सादगी से भरा व्यक्ति बताया जा रहा था वहीं अब उनको क्रिमिनल की उपाधि दी जा रही है।
दरअसल, प्रतापचंद्र सारंगी के चुनावी हलफनामे में उनकी बीती जिंदगी का खुलासा हुआ है। उनके चुनावी हलफनामे के मुताबिक, उनके पास केवल 15,000 रुपये नकद हैं। उनकी चल संपत्ति 1.5 लाख रुपये और अचल संपत्ति कुल 15 लाख रुपये की है। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों की औसत संपत्ति लगभग 4 करोड़ रुपये थी।
सारंगी के हलफनामे से यह भी पता चलता है कि उनके खिलाफ सात आपराधिक मामले लंबित हैं। उनके खिलाफ आपराधिक धमकी, दंगा, धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और जबरन वसूली के भी आरोप हैं।
ये है सांरगी पर केस-
जनवरी 1999 में भी ओडिशा में बजरंग दल के प्रमुख सारंगी थे, आरोप है कि तब एक ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस और उनके 11 व 7 वर्ष की उम्र के दो बेटों को बजरंग दल से जुड़े एक समूह द्वारा जिंदा जला दिया गया था।ग्राहम स्टेंस और उनके बेटे क्योंझर के मनोहरपुर गांव में एक स्टेशन वैगन में सो रहे थे, वैगन को भीड़ ने आग लगा दी थी। सारंगी से इस मामले में पूछताछ की गई तो उन्होंने इसमें शामिल होने से इनकार किया।
बता दें, उस समय आरएसएस और सारंगी के नेतृत्व में बजरंग दल ईसाई मिशनरियों के खिलाफ अभियान चला रहे थे। इन लोगों ने मिशनरियों पर आरोप लगाया था कि वे लोग आदिवासियों का जबरन धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। फरवरी 1999 में रेडिफ को दिए एक इंटरव्यू में सारंगी ने इस बात से इनकार किया कि बजरंग दल ग्राहम स्टेंस और उनके बेटों की हत्या में शामिल था। साथ ही उन्होंने हत्या की निंदा भी की थी।
बीजेपी और बीजू गठबंधन के दौरान हुए हमले-
ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल के गठबंधन से बनी सरकार के दौरान सांरगी पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। बताया जाता है कि मार्च 2002 की एक घटना में, जब सारंगी आरएसएस से जुड़े उग्र हिंदुत्ववादी संगठन बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब उन्हें ओडिशा पुलिस ने दंगा, आगजनी, हमला और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
क्यों हुए हमले-
आरोप है कि ओडिशा विधानसभा की इमारत पर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी), दुर्गा वाहिनी और सारंगी के नेतृत्व में बजरंग दल जैसे संगठनों ने त्रिशूल और लाठियों से लैस 500 लोगों की भीड़ जुटाकर हमला करवाया था। भीड़ मांग कर रही थी कि अयोध्या में विवादित भूमि को राम मंदिर के निर्माण के लिए सौंप दिया जाए।
सारंगी का राजनीति इतिहास-
सांसद चुने जाने से पहले प्रताप चंद्र सारंगी ओडिशा के नीलगिरी विधानसभा से 2004 और 2009 में विधायक चुने जा चुके हैं। इससे पहले वह 2014 के लोकसभा चुनाव में भी खड़े हुए थे, लेकिन तब उन्हें हार मिली थी।
Let me share the election affidavit of Mr Pratap Sarangi who is now a minister and headed the Bajrang Dal in the state when Graham Staines and his two young sons were burnt alive. He has 7 pending criminal cases. Let’s look at @BJP4India ‘s Aam Aadmi. pic.twitter.com/wt26PNEudu
— Sayantan Ghosh (@sayantan_gh) May 31, 2019
क्यों आए चर्चा में-
प्रताप चंद्र सारंगी के बारे में कहा जा रहा है कि वे आज भी कहीं आने-जाने के लिए निजी वाहन का नहीं बल्कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करते हैं। उन्होंने ओडिशा के बालासोर से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता है। इस दौरान उन्होंने अपना सारा चुनावी प्रचार साइकिल पर किया। सारंगी बालासोर में एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम करते हैं। सारंगी सरकारी हैंडपंप पर नहाते हैं और साधारण से झोपड़ी में रहते हैं। उनके बारें कहा जाता है कि सारंगी बालासोर के बच्चों के लिए कई स्कूल भी चलाते हैं।
बता दें प्रताप सांरगी को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय और पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग में उन्हें केंद्रीय राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। प्रताप सांरगी के चुनाव जीत जाने के बाद सोशल मीडिया पर कई सारे लोग और यहां तक कि कुछ वरिष्ठ पत्रकार भी उनकी जीवनशैली, रहन-सहन और सादगी के लिए उनकी सराहना कर रहे थे। लेकिन अब जब से उनके क्रिमिनल रिकॉर्ड सामने आए हैं तब से सोशल मीडिया पर भिन्न-भिन्न तरह की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है।
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