एंड्रॉयड ऐप्स चुरा रहे हैं आपके फोन से निजी डाटा, जानिए कहां-कहां इस्तेमाल हुई आपकी जानकारी

इन ऐप्स में फ्लिपबोर्ड, ऑडिबल, एंग्री बर्ड क्लासिक, बी612 और क्लीन मास्टर जैसी पॉपुलर ऐप्स भी शामिल हैं।

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टेक डेस्क: टेक वेबसाइट सीनेट (cent) ने एक खुलासा किया है, जिसमें बताया गया है ड्रॉयड ऐप्स लोगों की स्मार्टफोन एक्टिविटी को ट्रैक कर उन्हें विज्ञापन कंपनियों को बेच रही है। अबतक करीब 17 हजार एंड्रॉयड ऐप्स के द्वारा निजी डाटा चुराने की बात सामने आयी है। सीनेट की रिपोर्ट के मुताबिक, इन ऐप्स में फ्लिपबोर्ड, ऑडिबल, एंग्री बर्ड क्लासिक, बी612 और क्लीन मास्टर जैसी पॉपुलर ऐप्स भी शामिल हैं।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, ये एंड्रॉयड ऐप्स यूजर्स की स्मार्टफोन एक्टिविटी को ट्रैक कर पता लगाते हैं कि यूजर किस ऐप का इस्तेमाल कर रहा है या कितनी बार ऐप खोल रहा है? इसके बाद इस डेटा को विज्ञापनदाताओं के साथ साझा किया जाता है ताकि वे यूजर्स को विज्ञापन दिखा सकें। रिपोर्ट में कहा गया है, ऐसा स्मार्टफोन की ‘यूनिक एडवर्टाइजिंग आईडी’ के जरिए होता है, जिसे कोई भी ऐप फोन में इंस्टॉल होने पर देख सकती है।

रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्टफोन में इंस्टॉल होने वाली ऐप्स यूजर के फोन की एक्टिविटी को लगातार ट्रैक करती रहती हैं और इस डेटा को विज्ञापनदाता को भेजती रहती हैं। इस रिसर्च के मुख्य लेखक सर्ज ईगलमैन ने बताया, “क्योंकि हार्डवेयर आईडी को रिसेट नहीं किया जा सकता, इसलिए यूजर चाहकर भी खुदको ट्रैक होने से नहीं रोक सकता। इस कारण से, एंड्रॉयड और आईओएस दोनों ही प्लेटफॉर्म ऐप डेवलपर्स को यूजर के फोन की एडवर्टाइजिंग आईडी के साथ-साथ हार्डवेयर आईडी कलेक्ट करने से रोकती हैं।”

ईगलमैन ने इस बारे में सितंबर 2018 में गूगल से बात की थी। उस वक्त गूगल ने सीनेट को बताया था कि, कंपनी ने इस तरह की ऐप्स के खिलाफ कार्रवाई की है। हालांकि, गूगल ने ये भी कहा था कि वह कुछ ऐप्स को एडवर्टाइजिंग आईडी और हार्डवेयर आईडी कलेक्ट करने की अनुमति देता है, लेकिन इसका इस्तेमाल धोखाधड़ी जैसे मामलों में फोन को ट्रैक करने के लिए किया जाता है, न कि विज्ञापन दिखाने के लिए।

गूगल कहता क्या है और होता क्या है?
गूगल की पॉलिसी कहती है कि विज्ञापन के लिए यूजर के स्मार्टफोन की एडवर्टाइजिंग आईडी और हार्डवेयर आईडी कलेक्ट नहीं की जा सकती, लेकिन इसके बाद भी कुछ ऐप्स इन दोनों आईडी को विज्ञापन के लिए कलेक्ट कर रही हैं।

ऐसे निकाली जाती है आपकी जानकारी
दरअसल, ऐप्स यूजर की एडवर्टाइजिंग आईडी और हार्डवेयर आईडी को कलेक्ट करती हैं। हार्डवेयर आईडी में फोन का मैक एड्रेस, आईएमईआई और एंड्रॉयड आईडी रहती है। यूजर कुकीज क्लियर कर एडवर्टाइजिंग आईडी को तो रिसेट कर सकता है, लेकिन हार्डवेयर आईडी को रिसेट नहीं किया जा सकता।

यदि कोई ऐप यूजर के फोन की एडवर्टाइजिंग आईडी और हार्डवेयर आईडी दोनों विज्ञापनदाता को भेजता है, तो कितनी बार भी एडवर्टाइजिंग आईडी रिसेट करने पर भी विज्ञापनदाता यूजर की एक्टिविटी को ट्रैक करते रहते हैं और यूजर के बारे में उन्हें सब पता होता है।

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