गुस्से में आया देश का किसान, जानें क्या है संसद में पास हुआ किसान बिल 2020?

किसान बिल पारित होने के बाद एनडीए गठबंधन में फूट पड़ गई है। बीजेपी की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल की नेता और केंद्र सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) ने मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया

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नई दिल्ली: मोदी सरकार मानसून सत्र में तीन अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पास कराना चाहती है। इनमें किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल-2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल-2020 और मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता बिल, 2020 शामिल है। दो किसान बिल पारित होने के बाद एनडीए गठबंधन में फूट पड़ गई है। बीजेपी की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल की नेता और केंद्र सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) ने मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया।

इस बिल के विरोध में आज पंजाब और हरियाणा के किसान पुरजोर विरोध पर उतर आए हैं। बता दें, मोदी सरकार लॉकडाउन के दौरान ये अध्यादेश लेकर आई थी लेकिन अब उसे कानून की शक्ल देने के लिए संसद में बिल पेश किया गया है। इनमें दो लोकसभा में पारित हो चुके हैं। पंजाब, हरियाणा के अलावा तेलंगाना, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में भी किसान इसका विरोध कर रहे हैं।

जानें क्या है ये बिल?

किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल-2020  राज्य सरकारों को मंडियों के बाहर की गई कृषि उपज की बिक्री और खरीद पर कोई कर लगाने से रोक लगाता है और किसानों को इस बात की आजादी देता है कि वो अपनी उपज लाभकारी मूल्य पर बेचे। सरकार का तर्क है कि इस बिल से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल –2020 करीब 65 साल पुराने वस्तु अधिनियम कानून में संशोधन के लिए लाया गया है। इस बिल में अनाज, दलहन, आलू, प्याज समेत कुछ खाद्य वस्तुओं (तेल) आदि को आवश्यक वस्तु की लिस्ट से बाहर करने का प्रावधान है। सरकार का तर्क है कि इससे प्राइवेट इन्वेस्टर्स को व्यापार करने में आसानी होगी और सरकारी हस्तक्षेप से मुक्ति मिलेगी। सरकार का ये भी दावा है कि इससे कृषि क्षेत्र में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिल सकेगा।

मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता बिल -2020 में प्रावधान किया गया है कि किसान पहले से तय मूल्य पर कृषि उपज की सप्लाई के लिए लिखित समझौता कर सकते हैं। केंद्र सरकार इसके लिए एक आदर्श कृषि समझौते का दिशा-निर्देश भी जारी करेगी, ताकि किसानों को मदद मिल सके और आर्थिक लाभ कमाने में बिचौलिए की भूमिका खत्म हो सके।

बिल पर हंगामा क्यों
इन बिल (विधेयकों) पर किसानों की सबसे बड़ी चिंता न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर है। किसानों को डर सता रहा है कि सरकार बिल की आड़ में उनका न्यूनतम समर्थन मूल्य वापस लेना चाहती है। दूसरी तरफ कमीशन एजेंटों को डर सता रहा है कि नए कानून से उनकी कमीशन से होने वाली आय बंद हो जाएगी। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 12 लाख से ज्यादा किसान परिवार हैं और 28,000 से ज्यादा कमीशन एजेंट रजिस्टर्ड हैं।

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