भारत में कंटेंट को सेंसर करेंगे नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार, ये होंगे अब Online Video देखने के नियम

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नई दिल्ली: सेंसरशिप न होने के कारण पिछले कुछ समय से ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म विवादों में घिरे हुए हैं। ऐसे में खबर आयी है कि नेटफ्लिक्स (NetFlix) और हॉटस्टार (HotStar) सहित अन्य प्लेटफॉर्म अपने कंटेंट के लिए सेल्फ-रेग्युलेशन गाइडलाइन्स को अपनाने की योजना बना रहे हैं।

दरअसल, भारतीय सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के पास इंटरनेट के कंटेंट को सेंसर करने की ताकत नहीं है। कानून के मुताबिक, ये सर्टिफिकेशन सिर्फ फिल्मों की स्क्रीनिंग के लिए और थियेटर और टीवी पर ट्रेलर दिखाने के लिए चाहिए होता है। लेकिन अनुराग कश्यप और विक्रमादित्य मोटवानी की एक वेबसीरीज़ सैक्रेड गेम्स के बाद ऑनलाइन कटेंट को रेग्युलेट करने की मांग में तेजी आई है।

इसी को ध्यान में रखते हुए नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार, टाइम्स इंटरनेट (Times Internet) , इरोज़ (Eros), ऑल्टबालाजी (AltBalaji), जी5 (Zee 5), अरे (Arre), वूट (Voot) और सोनी (Sony) जैसी वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स ने एक कोड साइन किया है जिसका मतलब होगा ये प्लेटफॉर्म्स अपने वीडियो कंटेंट को सेल्फ-रेग्युलेट करेंगी।

ये प्लेटफॉर्म्स अपने ऐसे कंटेंट पर प्रतिबंध लगाएंगे जिसमें किसी बच्चे को ‘वास्तविक या नकली यौन गतिविधियों में लिप्त’ दिखाया गया हो या जिसमें भारत के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया है या फिर किसी भी दृश्य में ‘आतंकवाद’ को प्रोत्साहित करने जैसी बात कही या दिखाई गई हो।

मसौदे में कहा गया है कि जो कंपनियां इस पर हस्ताक्षर करती हैं उन्हें अपने प्लेटफॉर्म के ऐसे कंटेंट, जिनमें जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण रूप से किसी भी वर्ग, अनुभाग या समुदाय की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने की क्षमता है, उसे प्रतिबंधित करना होगा।

हालांकि अमेजन (Amazon) के वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो (Prime Video) ने ऐसे किसी नियम-कानून के मसौदे पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है। उसने एक बयान में कहा कि वे स्थितियों को आकलन कर रहे हैं, लेकिन मानते हैं कि ‘वर्तमान कानून पर्याप्त हैं।’

सूत्रों के मुताबिक कंपनी का कहना है कि जब तक सरकार की तरफ से ऐसा कोई अनिवार्य विनियमन नहीं आ जाता, तब तक वह ऐसे मसौदे का पालन नहीं करेगी। हालांकि मसौदे को तैयार करने में अमेजन के प्राइम वीडियो का भी सहयोग था।

ऑनलाइन स्ट्रीमिंग कंपनियां किसी भी उपभोक्ता संबंधी शिकायतों को प्राप्त करने और पता करने के लिए किसी व्यक्ति, टीम या विभाग को आंतरिक रूप से नियुक्त करेंगी। बता दें कि भारत में फिल्म और टीवी के लिए प्रमाणन संस्थाएं हैं जो कि सार्वजनिक कंटेंट की निगरानी करती हैं लेकिन देश के मौजूदा कानून में ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के कंटेंट की सेंसरशिप के लिए कोई प्रावधान नहीं हैं।

मालूम हो कि बीते साल ही एक नॉन-प्रॉफिट संस्था जस्टिस फॉर राइट्स फाउंडेशन ने भी अमेजन प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार द्वारा अश्लील सामग्री दिखाने की शिकायत करते हुए मामला दर्ज करवाते हुए ऑनलाइन कंटेंट के लिए नियामक लाने की मांग रखी थी। इस मामले में अगली सुनवाई फरवरी में होनी है। इससे पहले कंपनियां अपने बचाव के लिए भी पहले से तैयारी में जुटी हैं।

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