जयपुर: नई पीढ़ी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना देश के विकास के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। सरकार के सीमित संसाधनों के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना एक चुनौती है, इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में सीएसआर बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है। राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सर्विस एवं इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए समाज के हितधारकों को एक साथ आना चाहिए और इसके लिए अपने संसाधनों को साझा करना चाहिए।
यह कहना था राजस्थान सरकार के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री, श्री गोविंद सिंह डोटासरा का। वे आज जयपुर के होटल ललित में आयोजित ‘सीएसआर कॉन्क्लेव ऑन एजुकेशन‘ में मुख्य अतिथि के तौर पर सम्बोधित कर रहे थे।यह कॉन्क्लेव राजस्थान सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग और कमिश्नर इंडस्ट्रीज एंड सेक्रेटरी (सीएसआर) और यूनिसेफ तथा थिंकथ्रू कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड (टीटीसी), नई दिल्ली द्वारा आयोजित किया गया।
राज्य के सरकारी स्कूलों की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि वर्तमान में राज्य के 63,000 सरकारी स्कूलों में करीब 86 लाख बच्चे पढ़ते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ और स्कूलों की स्थापना की आवश्यकता है। इसके अलावा स्कूलों में खेलों को बढ़ावा देने, शिक्षकों को पुरस्कृत करने और ‘स्पेशली एबल्ड’ एवं कमजोर वर्गों को मुख्यधारा में शामिल करने की योजना भी तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में शनिवार को साप्ताहिक बाल सभा आयोजित की जाती है, जिसमें ग्रामीण लोग अपने बच्चों की परफॉर्मेंस पर चर्चा करने एवं सुझाव देने के लिए एकत्रित होते हैं।
राजस्थान सरकार के स्कूल शिक्षा के प्रमुख सचिव, डॉ. आर. वेंकटेस्वरन ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए केवल मूलभूत सुविधाएं ही पर्याप्त नहीं होती है, बल्कि टीचर्स व स्टूडेंट्स का परस्पर सम्बंध और ‘सॉफ्ट स्किल्स’ भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने ‘ज्ञान संकल्प पोर्टल‘ के बारे में बताया, जो सरकारी स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से राज्य शिक्षा विभाग द्वारा तैयार किया गया है।
उन्होंने बताया कि अब तक इस पोर्टल द्वारा 88 करोड़ रुपए से अधिक राशि जुटाई जा चुकी है। सरकारी स्कूलों की बढ़ती प्राथमिकता की बात करते हुए डॉ. वेंकटेस्वरन ने कहा कि अब तक 10 लाख छात्र निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित हो चुके हैं।राज्य की शिक्षा की बहुस्तरीय उपलब्धियों पर जोर देते हुए यूनिसेफ की ऑफिसर इन्चार्ज, सुश्री मंजरी पंत ने बताया कि कक्षाओं में जेंडर इन्क्लूजन, अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन, टीचर्स एजुकेशन के साथ-साथ एनरोलमेंट बढ़ाने तथा लर्निंग बेहतर बनाने हेतु अनुकूल माहौल बनाने के भी प्रयास किए गए हैं।
उन्होंने आगे बताया कि राजस्थान के ग्रामीण विद्यार्थियों को बाल विवाह, पलायन, बाल श्रम एवं लैंगिक असमानता जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। स्कूलों को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ कौशल आधारित सहायता प्रदान करने में भी सक्षम होना चाहिए।टीटीसी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, श्री विजय गणपति ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि ‘सीएसआर कॉन्क्लेव ऑन एजुकेशन‘ राजस्थान में शिक्षा में सुधार सुनिश्चित करने के लिए सरकारी व निजी क्षेत्र के साथ-साथ व्यक्तियों को एक स्थान पर लाने का एक मंच है।
इस अवसर पर सरकारी स्कूलों के कुछ विद्यार्थियों की ओर से बड़े क्लासरूम्स, शौचालयों, विज्ञान प्रयोगशालाओं, बेहतर खेल सुविधाओं की मांगें भी रखी गई।उद्घाटन के बाद ‘सीएसआर एंगेजमेंट इन एजुकेशन डोमेन‘ पर पैनल डिस्कशन आयोजित किया गया। इसके पश्चात ‘सक्सेसफुल सीएसआर मॉडल्स इन राजस्थान एंड अदर स्टेट्स‘ विषय पर अनुभव साझा किए गए और ‘ज्ञान संकल्प पोर्टल’ पर प्रजेंटेशन दिया गया।इस कॉन्क्लेव में चंबल फर्टिलाइजर्स, हैवेल्स, हीरो मोटोकॉर्प, अडाणी पावर जैसे कॉर्पोरेट्स के प्रतिनिधि शामिल हुए।
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