3 साल बाद फिर लौटे साइरस मिस्त्री, टाटा मैनेजमेंट को NCALT का बड़ा झटका

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बिजनेस डेस्क: टाटा के मौजूदा प्रबंधन को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCALT) से बड़ा झटका मिला है। NCALT  ने टाटा सन्स के चेयरमैन पद से साइ‍रस मिस्त्री (Cyrus Mistry) के हटाने को अवैध ठहरा दिया है और उन्हें इस पद पर फिर से बने रहने का आदेश दिया है। ये ही नहीं NCALT ने एन चंद्रशेखरन को कार्यकारी चेयरमैन बनाने के प्रबंधन के निर्णय को भी अवैध ठहराया है।

साइरस मिस्त्री की बड़ी जीत

साइरस मिस्त्री तीन साल के बाद फिर से टाटा सन्स के चेयरमैन बनेंगे। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCALT) ने बुधवार को अपने आदेश में उन्हें फिर से टाटा सन्स का एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाया जाए। इसके पहले NCLT की मुंबई बेंच ने साइरस मिस्त्री को हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। यह याचिकाएं दो निवेश फर्मों साइरस इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट कॉर्प के द्वारा दाखिल की गई थीं। इसके बाद मिस्त्री ने खुद NCLAT में संपर्क किया था।

क्या था विवाद
रतन टाटा कैम्प और कंपनी बोर्ड ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाकर साइरस मिस्त्री को बाहर कर दिया था। टाटा सन्स के बोर्ड ने 24 अक्टूबर, 2016 को साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था। इसके साथ ही उन्होंने साइरस को ग्रुप की अन्य कंपनियों से भी बाहर निकलने के लिए कहा था। इसके बाद साइरस ने ग्रुप की 6 कंपनियों के बोर्ड से अपना इस्तीफा दिया। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने टाटा सन्स और रतन टाटा को एनसीएलटी में घसीटा।  बता दें, मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था। वह टाटा सन्स के छठे चेयरमैन थे। रतन टाटा की रिटायरमेंट की घोषणा के बाद वह साल 2012 में टाटा सन्स के चेयरमैन बने थे।

क्या था टाटा ग्रुप का पक्ष
टाटा ग्रुप ने कहा कि साइरस मिस्त्री को इसलिए निकाला गया क्योंकि बोर्ड उनके प्रति विश्वास खो चुका था। ग्रुप ने आरोप लगाया था कि मिस्त्री ने जानबूझकर और कंपनी को नुकसान पहुंचाने की नीयत से संवेदनशील जानकारी लीक की। इसकी वजह से ग्रुप की मार्केट वैल्यू में बड़ा नुकसान हुआ। हालांकि टाटा समूह के पास इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का अभी मौका है।

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