रूस: पीएम नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात की। दोनों नेताओं ने गले मिलकर गर्मजोशी से मुलाकात की और इसके बाद ज्वेज्दा शिप बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स का दौरा किया और यहां उन्होंने कुछ प्रदर्शनी भी देखी। ज्वेज्दा रूस का सबसे बड़ा पोतनिर्माण परिसर है। दोनों के बीच आज द्विपक्षीय वार्ता होगी।
मोदी पुतिन के साथ ईस्टर्न इकोनॉमिक समिट (ईइएस) में हिस्सा लेंगे। पुतिन ने मोदी को इस समिट में चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाया है। रूस के सुदूर व्लादिवोस्तोक जाने वाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। इसके बाद दोनों नेता सालाना भारत-रूस समिट में भी हिस्सा लेंगे। मोदी और पुतिन के बीच इस मुलाकात में ऊर्जा से जुड़े कई समझौते हो सकते हैं।
मोदी इस मुलाकात में पुतिन से आर्कटिक जलमार्ग खोलने का आग्रह कर सकते हैं, ताकि भारत से रूस के इस हिस्से की दूरी कम हो जाए और दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाए जा सकें।
Russia: Prime Minister Narendra Modi and Russian President Vladimir Putin at Zvezda ship-building complex, Vladivostok. pic.twitter.com/j128uqqNw0
— ANI (@ANI) September 4, 2019
जलमार्ग पर समझौता क्यों है भारत के खास
अगर चेन्नई-व्लादिवोस्तोक जलमार्ग पर समझौता होता है तो भारत-रूस के बीच व्यापार को मजबूती मिलेगी। व्लाओएनजीसी और कुछ हीरा कंपनियां अभी रूस के इस सुदूर पूर्वी इलाके में काम कर रही हैं। भारत-रूस इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर पर भी काम कर रहे हैं। यह 7200 किलोमीटर लंबा सड़क, रेल और समुद्र मार्ग होगा। यह भारत, ईरान और रूस को जोड़ेगा। कॉरिडोर हिंद महासागर और फारस की खाड़ी से ईरान के चाबहार पोर्ट होते हुए रूस के सेंट पीटर्सबर्ग को जोड़ेगा।
#WATCH: PM Modi & Russian President Vladimir Putin on board a ship on their way to Zvezda ship-building complex, Vladivostok. In a special gesture, President Putin decided to accompany PM Modi. Both leaders discussed ways to deepen cooperation in ship building. (Earlier visuals) pic.twitter.com/M3SiqKCXby
— ANI (@ANI) September 4, 2019
भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने का अवसर
ईस्टर्न इकनॉमिक फोरम की मंच से भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने का अवसर मिलेगा। साथ ही रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी विकसित करने का अवसर होगा। प्रधानमंत्री मोदी रूस के ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में शामिल होने वाले अन्य देशों के नेताओं से द्विपक्षीय वार्ता भी कर सकते हैं। इस सम्मेलन में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद और मंगोलिया के राष्ट्रपति खाल्तमागिन बत्तुलगा आदि भी शामिल होंगे।