CAA पर देशव्यापी विरोध झेल रही पीएम मोदी की केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू होगी जिसका मकसद देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना है। इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी शामिल होगी।
क्या है पूरी प्रक्रिया
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में हर नागरिक की जानकारी रखी जाएगी। ये नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। पॉपुलेशन रजिस्टर में तीन प्रक्रियाएं होगी. पहले चरण यानी अगले साल एक अप्रैल 2020 लेकर से 30 सितंबर के बीच केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे। वहीं दूसरे चरण में 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 के बीच पूरा होगा। तीसरे चरण में संशोधन की प्रक्रिया 1 मार्च से 5 मार्च के बीच होगी।
ये भी पढ़ें: CAA के बाद अब NPR लाने की तैयारी में मोदी सरकार, जानें इस एक्ट के फायदें-नुकसान
एनपीआर से फायदा क्या होगा ?
देश के हर निवासी की जानकारी और पहचान सरकार के पास होगी। इससे सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंच सकेगा। देश की सुरक्षा के लिए कारगार कदम उठाए जा सकेंगे। आपको बता दें कि साल 2010 में पहली बार एनपीआर बनाने की शुरुआत हुई थी। माना जा रहा है कि नए नागरिकता कानून के बाद अब एनपीआर पर भी विवाद हो सकता है।
रजिस्टर की मौजूदा स्थिति क्या है
2011 जनगणना के लिए 2010 में डेटा जमा किया गया था।
2015 में घर-घर जाकर सर्वे अपडेट किया गया।
अपडेट जानकारी का डिजिटलाइजेशन हो चुका है।
2021 जनगणना के साथ इसे अपडेट किया जाएगा।
2020 में असम को छोड़कर इसे अपडेट किया जाएगा।
समझें एनआरसी (NRC) और एनपीआर (NPR) में फर्क
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी- इसके जरिए अवैध नागरिकों की पहचान होगी। एनपीआर- 6 महीने या उससे ज्यादा वक्त से एक क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को एनआरपी में रजिस्ट्रेशन कराना होगा या ऐसा व्यक्ति जो अगले 6 महीने के लिए उस जगह रहने की इच्छा रखता है, उसे भी इसके तहत अपनी जानकारी देनी होगी।