दुनिया का सबसे ऊंचा डस्टबिन बना माउंट एवरेस्ट

एवरेस्ट पर तूफान और भूकंप के बाद कचरे का अंबार हर किलो कचरा लाने पर शेरपा को मिलेंगे 120 रुपए

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काठमांडू: माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले क्लाइंबर्स और उन्हें गाइड करने वाले शेरपा को अब कैनवास बैग क्लीनअप मिशन से जोड़ा गया है। इसके लिए 80 किलो क्षमता वाले 10 कैनवास बैग दिए गए हैं। इन्हें कचरा भरकर कैम्प 2 तक लाना होगा। एवरेस्ट से लौटने वाले क्लाइंबर्स साथ लाया कचरा इसमें जमा करेंगे। कैम्प 2 से इन्हें हेलिकॉप्टर की मदद से नीचे लाया जाएगा। यानी कैम्प 2 से नीचे पड़ने वाले सबसे खतरनाक खुम्बू आइसफॉल कचरे के साथ पार नहीं करना पड़ेगा। यही नहीं शेरपा को कचरा नीचे लाने के लिए हर किलो पर 2 डॉलर दिए जाएंगे।

नेपाल टूरिज्म के मुताबिक इस मिशन के जरिए बिना अलग पैसा खर्च किए एवरेस्ट की सफाई की जाएगी। जो हेलिकॉप्टर क्लाइंबिंग रोप छोड़ने कैम्प 2 तक जाते हैं वो कचरे के बैग उठाकर लाएंगे। अभी ये हेलीकॉप्टर खाली लौटकर आते हैं।

पिछले साल 600 से ज्यादा लोगों ने एवरेस्ट की चढ़ाई की थी। उम्मीद की जा रही है कि इस बार एवरेस्ट चढ़ने वालों की संख्या बढ़ेगी। 2015 में आए भूकंप के बाद क्लाइंबर्स का परमिट 2 साल तक के लिए बढ़ाया गया था। इस साल परमिट खत्म हो रहा है। परमिट के लिए 11000 डॉलर फीस लगती है।

पर्वतारोही आमतौर पर अप्रैल से मई के बीच चढ़ाई करते हैं। 2014 में बर्फीले तूफान में 16 शेरपाओं की मौत हो गई थी। 2015 में नेपाल में भूकंप के चलते बेस कैम्प तबाह हो गया था और यहां 19 लोग मारे गए थे। इन घटनाओं के चलते कई पर्वतारोही अपने टेंट, सप्लाई और बाकी सामान एवरेस्ट पर जहां तहां छोड़ भाग आए थे। जो अब कचरे में बदल चुके हैं।

हर साल 11 हजार किलो मानव मल छोड़कर आते हैं
अबतक पर्वतारोही लगभग 16 टन कचरा एवरेस्ट से नीचे ला चुके हैं। हालांकि ये अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि आखिर अभी भी कितना कचरा वहां जमा है। अनुमान के मुताबिक पर्वतारोही हर साल 11 हजार किलो केवल मानव मल एवरेस्ट पर छोड़कर आते हैं। लोकल शेरपा इस गंदगी को बैग में भरकर नीचे लाते हैं क्योंकि वह एवरेस्ट को भगवान मानते हैं।

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