#MeToo आखिरकार विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने दिया इस्तीफा

अकबर के खिलाफ खुलकर सामने आनेवाली पत्रकारों में फोर्स पत्रिका की कार्यकारी संपादक गजाला वहाब, अमेरिकी पत्रकार मजली डे पय कैंप और इंग्लैंड की पत्रकार रूथ डेविड शामिल हैं।

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नई दिल्ली: विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने अपने पद से इस्तीफा दिया। इससे पहले प्रेसकॉन्फ्रेंस कर ये बात कह चुके थे कि वह इस्तीफा नहीं देंगे। पत्रकार प्रिया रमानी के आरोप लगाने के बाद धीरे-धीरे और 19 अन्य महिलाएं भी अकबर के खिलाफ अनुचित व्यवहार और यौन उत्पीड़न के आरोप लगा चुकी हैं।

आरोप लगाने वाली महिला पत्रकारों ने उनके साथ काम किया था। अकबर के खिलाफ खुलकर सामने आनेवाली पत्रकारों में फोर्स पत्रिका की कार्यकारी संपादक गजाला वहाब, अमेरिकी पत्रकार मजली डे पय कैंप और इंग्लैंड की पत्रकार रूथ डेविड शामिल हैं।

रविवार को नाइजीरिया के दौरे से लौटकर आए। आने के बाद यह उम्मीद थी कि वह इस्तीफ दे देंगे। रविवार को वह सुषमा स्वराज से मिले लेकिन इस्तीफा नहीं दिया। रविवार को उन्होंने महिला पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ क्रिमिनल डिफेमेशन केस करने की बात कही थी। सोमवार को उन्होंने प्रिया पर मानहानि का केस किया लेकिन दो दिन बाद आज अकबर ने इस्तीफा दे दिया। पार्टी ने अभी इस्तीफा स्वीकार करने के बारे कोई बयान नहीं दिया है।

पत्रकार प्रिया रमानी के समर्थन में 20 महिला पत्रकार सामने आई हैं। ये सभी पत्रकार ‘द एशियन एज’ अखबार में काम कर चुकीं हैं। अकबर की ओर से रमानी को मानहानि का नोटिस भेजे जाने पर इन महिला पत्रकारों ने एक संयुक्त बयान में रमानी का समर्थन करने की बात कही और अदालत से आग्रह किया कि अकबर के खिलाफ उन्हें सुना जाए।

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प्रिया रमानी और अकबर

बयान पर दस्तखत करने वालों में मीनल बघेल, मनीषा पांडेय, तुषिता पटेल, कणिका गहलोत, सुपर्णा शर्मा, रमोला तलवार बादाम, होइहनु हौजेल, आयशा खान, कुशलरानी गुलाब, कनीजा गजारी, मालविका बनर्जी, ए टी जयंती, हामिदा पार्कर, जोनाली बुरागोहैन, मीनाक्षी कुमार, सुजाता दत्ता सचदेवा, रेशमी चक्रवाती, किरण मनराल और संजरी चटर्जी शामिल हैं।

इससे पहले एमजे अकबर द्वारा आपराधिक मानहानि का नोटिस भेजने के कुछ घंटे बाद ही रमानी ने एक बयान जारी कर कहा था, ‘सत्य और पूर्ण सत्य ही उनका इसके खिलाफ एकमात्र डिफेंस है। मैं इस बात से बेहद दुखी हूं कि केंद्रीय मंत्री ने कई महिलाओं द्वारा लगाए गए आरोपों को राजनीतिक षडयंत्र बताते हुए खारिज कर दिया। मेरे खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला बनाकर अकबर ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है। अपने खिलाफ कई महिलाओं द्वारा लगाए गए गंभीर अपराधों पर सफाई देने की बजाए वह उनको धमकाकर और प्रताड़ित कर चुप कराने की कोशिश करते दिख रहे हैं।’

आपको बता दें तनुश्री दत्ता और नाना पाटेकर विवाद के बाद देशभर में #MeToo अभियान तेज हो गया। इस अभियान में कई महिलाएं पत्रकार सहित कई अभिनेत्रियां भी सामने आई जिन्होंने कई निर्माता-निर्देशकों के साथ राजनेताओं के यौन उत्पीड़न को लोगों के सामने रखा। खबर है कि मोदी सरकार ने पहले रिटायर जजों का एक पैनल METOO पीड़ित महिलाओं के लिए बनाया था जिसके द्वारा उन्हें हक मिल सके अपनी लड़ाई का लेकिन अभी खबर है कि मेनका गांधी ने इस फैसले में बदलाव करते हुए मंत्रियों का ही पैनल बनाने की बात कही है। खैर, क्या होगा इसपर हमारी नजर होगी। फिलहाल अकबर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

कौन है अकबर-
दैनिक अखबार ‘द टेलीग्राफ’ और पत्रिका ‘संडे’ के संस्थापक संपादक रहे अकबर 1989 में राजनीति में आने से पहले मीडिया में एक बड़ी हस्ती के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और सांसद बने थे। अकबर 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य अकबर जुलाई 2016 से विदेश राज्य मंत्री थे।

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