2019 लोकसभा चुनाव: क्या इन सात युवाओं की सोच लाएगी राजनीति में नया बदलाव

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भारत में सबसे अधिक युवा आबादी होने के बाद भी देश की राजनीति में वृद्ध लोगों की संख्या ज्यादा है और चंद गिने-चुने युवा ही राजनीति में है। इसका एक कारण यह है कि भारत में राजनीति का माहौल दिन-ब-दिन बिगड़ रहा है। पिछले कई वर्षों में राजनीति में देश प्रेम की भावना की जगह परिवारवाद, जातिवाद और संप्रदाय ने ले ली है।

आए दिन जिस तरह से नेताओं के भ्रष्टाचार के किस्से बाहर आ रहे है देश के युवा वर्ग में राजनीति के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है। इसी बीच ऐसे माहौल में 543 लोकसभा सीटों पर हजारों उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे हैं लेकिन इसबार राहुल गांधी और पीएम मोदी के बाद सोशल मीडिया पर कोई सबसे ज्यादा चर्चित है तो वे हैं कम उम्र के युवा नेता जिनमें कन्हैया कुमार, तेजस्वी सूर्या, चंद्रशेखर  और राघव चड्ढा, नुसरतजहां, अक्षय यादव, मिमी चक्रवर्ती नाम शामिल है।

ये युवा नेता तेज-तर्रार होने के साथ, पढ़े-लिखे भी हैं और दमदार भी। कोई वक्ता अच्छा है तो कोई कलाकार तो कोई नई राजनीति की बात करने वाला। हालांकि, आज के ‘नए युवाओं’ से राजनीति में सुभाषचन्द्र बोस, शहीद भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, लोकमान्य तिलक जैसे युवा नेताओं जैसी उम्मीद नहीं रखी जा सकती। जो अपने होश और जोश से युवा वर्ग के मन में एक नई क्रांति का संचार कर सके।

यही वजह है भारत में वोट डालने वाले युवा को अपने चुने हुए उम्मीदवार पर तक भरोसा नहीं होता है। खैर, बदलती राजनीति और धीरे-धीरे नए-नए युवाओं को राजनीति में कदम रखना एक उम्मीद की किरण है। जिस तरह इन नए युवा प्रत्याशियों से है….

नुसरत जहां
नुसरत जहां बंगाली फिल्‍म इंडस्‍ट्री में एक बेहद लोकप्रिय चेहरा हैं। वह अभी 29 साल की हैं। कोलकाता की रहने वाली नुसरत जहां ने अपने छोटे से फिल्‍मी करियर में कई टॉप स्‍टार के साथ काम किया है। पेशे से मॉडल रह चुकी नुसरत जहां ने वर्ष 2011 में अपने करियर की शुरुआत जीत फिल्‍म से की थी। साल 2019 के आम चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने उन्हें बांग्‍लादेश की सीमा से सटे बशीरहाट सीट से चुनावी मैदान में उतारा है।

तेजस्वी सूर्या
28 साल के तेजस्वी सूर्या को भाजपा ने बेंगलुरु साउथ संसदीय सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। हाल ही में तेजस्वी हाई कोर्ट से ऑर्डर निकलवाने में सफल रहे हैं जिसमें कुछ मीडिया संस्थानों को तेजस्वी के खिलाफ कुछ मामलों में लिखने से रोका गया है। इसके बाद ये सोशल मीडिया पर छा गए। इससे पहले तेजस्वी और कन्हैया कुमार के बीच टीवी की एक डिबेट भी खूब वायरल हुई और ये अलग-अलग विचारधारा से जुड़े युवाओं के चहेते बन गए। बता दें, तेजस्वी जिस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, वो इससे पहले केंद्रीय मंत्री अनंतकुमार की थी. उनकी मृत्यु के बाद तेजस्वी को सीट दी गई है और जब से इनके चुनाव लड़ने की खबरें आईं तबसे ही इनके सोशल मीडिया हैंडल से पुराने ट्वीट निकालकर एक वर्ग खूब ट्रोल कर रहा है। तेजस्वी पेशे से वकील हैं। सूर्या के चाचा रवि सुब्रमाण्य बासावानागुड़ी से बीजेपी विधायक हैं।

कन्हैया कुमार
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की एक रात भारत विरोधी नारे लगाने से पूरे देश में रातोंरात चर्चा का विषय बनें 32 साल के कन्हैया कुमार। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के टिकट से बेगूसराय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इसकी घोषणा सीपीआई नेता सुरवरम सुधाकर रेड्डी ने की है। यहां बीजेपी के नेता गिरिराज सिंह के लिए कन्हैया बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। इसके साथ ही कन्हैया कुमार को बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर जमकर स्पोर्ट कर रही है। हाल ही में हुई उनकी रैलियों में स्वरा को देखा गया। जिसके लिए उन्हें ट्रोलिंग का शिकार भी होना पड़ा।


अक्षय यादव
32 साल के अक्षय यादव मुलायम सिंह के भाई राम गोपाल यादव के बेटे हैं। वह 2014 में फिरोजाबाद से सांसद चुने गए थे। समाजवादी पार्टी ने एकबार फिर से अक्षय को फिरोजाबाद से ही चुनावी मुकाबले में उतारा है। समाजवादी पार्टी से अलग हो चुके शिवपाल यादव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की टिकट पर खुद फिरोजाबाद लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं।


मिमी चक्रवर्ती
जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री 30 साल की मिमी चक्रवर्ती को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने जादवपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है।

राघव चड्ढा
30 साल के राघव चड्ढा को आम आदमी पार्टी ने साउथ दिल्ली से लोकसभा चुनाव का टिकट दिया है। राघव को सबसे पहले साल 2011 में चले इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में देखा गया था। बाद में सीए की नौकरी छोड़कर आम आदमी पार्टी से जुड़ गए। खबर तो ये भी है कि राघव सोशल मीडिया पर लड़कियों के निशाने पर रहते हैं। दरअसल, उन्हें यहां शादियों के खूब प्रपोजल्स दिए जाते हैं। राघव के फेसबुक से लेकर इंस्ट्राग्राम पर खूब अच्छी फॉलोइंग हैं।

चंद्रशेखर
31 साल के चंद्रशेखर ने वकालत की पढ़ाई की है और इसबार वाराणसी से सीधे पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। हाल ही में बसपा की सुप्रीमो मायावती ने इनकी जमकर आलोचना की थी। जिससे वहां के दलितों ने इसे असुरक्षा नाम दिया। आपको बता दें, चंद्रशेखर साल 2017 में यूपी के सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलितों और सवर्णों के बीच झड़प के बाद खूब सुर्खियों में आए। इस दौरान एक संगठन उभरकर सामने आया, जिसका नाम भीम आर्मी था। इसका गठन करीब 6 साल पहले किया गया था। इस संगठन के संस्थापक चंद्रशेखर हैं।

बाकी आगे देखना दिलचस्प होगा कि मुद्दों की राजनीति करने वाले ये पढ़े-लिखें युवा प्रत्याशी इस साल के आम चुनावों के स्टार बनते हैं या इनकी कहानी को जनता बिना समझे फ्लॉप घोषित करती है। जहां एक तरफ देश में युवा आबादी है वहीं राजनीति में कुछ युवा, आम जनता तो उनसे ये ही उम्मीद करेंगी कि, युवा आबादी से अधिकतम लाभ लेने के लिए ये नए प्रत्याशी यह सुनिश्चित करे कि उन्हें रोजगार व आमदनी के अवसर मिलें। देश अपनी युवा आबादी को आर्थिक और सामाजिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनें।

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