Kotputli News: रेस्क्यू ऑपरेशन की तकनीकी खामियों ने ली चेतना की जान, पढ़ें पूरा मामला?

0
248

कोटपूतली (kotputli News) बहरोड़ ज़िले के गांव कीरतपुरा की ढाणी बड़ियाली में 700 फीट गहरे खुले बोरवेल में गिरी तीन साल की बच्ची चेतना को 10 दिनों के लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बाहर निकाला गया। NDRF के जवान महावीर ने शाम 6:25 बजे सफेद कपड़े में लिपटी चेतना को बाहर निकाला गया। उसे तुरंत एंबुलेंस से नज़दीकी सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद चेतना को मृत घोषित कर दिया। देर शाम पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया।

10 दिन तक चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर कई तरह के सवाल उठे। प्रशासन ने चेतना को बाहर निकलने के लिए तकनीकों का इस्तेमाल किया, लेकिन कुछ भी कामयाब नहीं हुआ बाद में पाइलिंग मशीनों से बोरवेल के पास एक 170 फ़ीट का गड्डा खोदा गया, और सुरंग बना कर चेतना तक पहुंचा गया।

चेतना को बोरवेल से NDRF जवान महावीर जाट गोद में लेकर बाहर आए। उन्होंने मीडिया को बताया कि चेतना जिस जगह फंसी थी वहां बोरवेल मुड़ा हुआ था, इसी वजह से वो वहीं अटक गई। उन्होंने बताया,”चेतना जिस जगह फंसी थी वहां बोरवेल मुड़ा हुआ था जिससे वो वहीं अटक गई थी। इसी वजह से जब पहले उसे हुक से खींचने की कोशिश की तो स्वेटर कमज़ोर होने से वह फट गया और हुक निकल गया।”

ये भी पढ़ें: Numerology Horoscope 2025: मूलांक से जानें नए साल का पहला महीना कैसा रहेगा?

पोस्टमार्टम पर डॉक्टरों की चुप्पी
BDM अस्पताल में जब चेतना को ले जाया गया तो उसकी सांसे टूट चुकी थीं। डॉक्टरों को कहना है कि जब चेतना को लाया गया उससे पहले ही उसकी मृत्यु हो गई थी। देर रात शव का पोस्टमार्टम किया गया, लेकिन चेतना की मौत कब हुई इसका कोई जवाब डॉक्टर देना नहीं चाहते, हर कोई मामले पर चुप है।

पंचदूत को व्हाट्सऐप पर फॉलो करें, Panchdoot WhatsAPP पर क्लिक करें…

रेस्क्यू ऑपरेशन में कई तकनीकी खामियां
रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं पहले दिन जब रेस्क्यू टीम ने काम शुरू किया था, तब बचाव कर्मियों ने मीडिया के सामने दावा किया था कि वे रात तक बच्ची को बोरवेल से बाहर निकाल लेंगे लेकिन इस पूरे ऑपरेशन में प्रशासन ने तकनीकी खामियों को नजरअंदाज किया और पर्याप्त साधन जुटाने में भी नाकामयाब रहे। प्लान बी के तहत  पाइलिंग मशीनों से खुदाई शुरू करने का निर्णय लेने में देरी हुई।

जबकि, इससे पहले ही चेतना का मूवमेंट दिखना बंद हो गया। सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि हाल ही में दौसा में हुए आर्यन मामले से टीम ने शायद कोई बड़ा सबक नहीं लिया। उस घटना में आर्यन को भी जीवित नहीं बचाया जा सका था।

ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।