नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा ने बीते साल 26 नवंबर से चल रहे किसान आंदोलन को स्थगित करने का ऐलान कर दिया है। किसान 378 दिन बाद दिल्ली बॉर्डर से हटना शुरू हो गए हैं। सरकार से बातचीत के लिए बनाई गई पांच सदस्यीय कमेटी के सभी सदस्यों के साथ योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये जानकारी दी।
किसान नेताओं ने कहा है कि वे 11 दिसंबर से अपने घर लौटना शुरू कर देंगे। नेताओं का कहना है कि 15 जनवरी को एक बार फिर वे स्थिति की समीक्षा करेंगे और अगर केंद्र सरकार वादे पूरे नहीं करती है, तो वे फिर आंदोलन करेंगे।
ऐसे बनी सहमति
केंद्र सरकार ने इस बार सीधे संयुक्त किसान मोर्चा की 5 मेंबरी हाईपावर कमेटी से मीटिंग की। हाईपावर कमेटी के मेंबर बलबीर राजेवाल, गुरनाम चढ़ूनी, अशोक धावले, युद्धवीर सिंह और शिवकुमार कक्का नई दिल्ली स्थित ऑल इंडिया किसान सभा के ऑफिस पहुंचे, जहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के अफसर भी जुड़े। सबसे बड़ा पेंच केस पर फंसा था, जिसे तत्काल वापस लेने पर केंद्र राजी हो गया।
इन मुद्दों पर बनी सहमति
MSP : केंद्र सरकार कमेटी बनाएगी, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि लिए जाएंगे। अभी जिन फसलों पर MSP मिल रही है, वह जारी रहेगी। MSP पर जितनी खरीद होती है, उसे भी कम नहीं किया जाएगा।
केस वापसी : हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार केस वापसी पर सहमत हो गई है। दिल्ली और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के साथ रेलवे द्वारा दर्ज केस भी तत्काल वापस होंगे।
मुआवजा : मुआवजे पर भी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में सहमति बन गई है। पंजाब सरकार की तरह ही यहां भी 5 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई है।
बिजली बिल : बिजली संशोधन बिल को सरकार सीधे संसद में नहीं ले जाएगी। पहले उस पर किसानों के अलावा सभी संबंधित पक्षों से चर्चा होगी।
प्रदूषण कानून : प्रदूषण कानून को लेकर किसानों को सेक्शन 15 से आपत्ति थी। जिसमें किसानों को कैद नहीं, लेकिन जुर्माने का प्रावधान है। इसे केंद्र सरकार हटाएगी।
पीएम ने की कानून वापसी
19 नवंबर को गुरुनानक देव जी के प्रकाश पर्व पर पीएम नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी। 29 नवंबर को इन्हें लोकसभा और राज्यसभा से पास कर दिया। इसके बाद किसानों ने MSP पर गारंटी कानून की मांग की। हालांकि अब इस पर सहमति बनी कि केंद्र की कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चे के मेंबर भी शामिल होंगे। इसके अलावा केस वापसी पर भी केंद्र ने लिखित में दे दिया है। जिसके बाद 378 दिन बाद किसान आंदोलन गुरुवार को खत्म हो गया।
आंदोलन में 700 जानें गई
एक साल से ज्यादा वक्त तक चला किसान आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा। इसके बावजूद इसमें 700 से अधिक किसानों की मौत हुई। किसान दिल्ली बॉर्डर पर कड़ाके की ठंड, भीषण गर्मी और बारिश के अलावा आंधी में भी डटे रहे। इस दौरान कई किसानों की मौत हुई। जिन्हें संयुक्त किसान मोर्चा ने शहीद का दर्जा दिया है। किसान नेता बलबीर राजेवाल ने कहा कि अहंकारी सरकार को झुकाकर जा रहे हैं। हालांकि, यह मोर्चे का अंत नहीं है।
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