कर्नाटक में प्राइवेट कंपनियों में ग्रुप सी और डी में स्थानीय लोगों को 100% आरक्षण (Karnataka reservation bill) देने का फैसला विवादों में घिर गया है। दरअसल, 16 जुलाई को कर्नाटक में भी प्राइवेट कंपनियों में स्थानीय लोगों को ही भर्ती करने का नियम लागू हो गया है। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की अगुवाई वाली कैबिनेट ने राज्य में स्थापित प्राइवेट कंपनियों में सिर्फ कन्नड़ भाषी लोगों को ही नौकरी देने का बिल पास कर दिया है। इसके साथ ही कर्नाटक में 100 फीसदी रिजर्वेशन लागू हो गया है।
24 घंटे के अंदर ही उन्होंने सोशल मीडिया पर 100% कोटा बिल को लेकर की गई पोस्ट हटा ली। CM के पोस्ट डिलीट करने पर राज्य के लेबर मिनिस्टर संतोष लाड ने बुधवार को सफाई दी- कर्नाटक में प्राइवेट कंपनियों की नौकरियों में नॉन-मैनेजमेंट पोस्ट के लिए रिजर्वेशन 70% और मैनेजमेंट लेवल के स्टाफ के लिए 50% तक सीमित है।
फैसले से औद्योगिक घराने नाखुश
प्राइवेट कंपनियों में रिजर्वेशन के कर्नाटक सरकार के फैसले से औद्योगिक घरानों ने नाखुशी जताई हैं। उनका कहना है कि इस बिल से भेदभाव बढ़ेगा और इंडस्ट्रीज को नुकसान हो सकता है।
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बिल में कंपनियों के लिए दो शर्तें
- बिल के मुताबिक, योग्य स्थानीय कैंडिडेट उपलब्ध नहीं हैं तो कंपनियों को सरकार या उसकी एजेंसियों के सहयोग से 3 साल के अंदर उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए कदम उठाने चाहिए। हालांकि इसमें एक शर्त ये भी जोड़ी गई है कि अगर योग्य कैंडिडेट नहीं मिल रहे हैं तो कंपनियां इस नियम के प्रावधानों में छूट के लिए सरकार से आवेदन कर सकती हैं।
- सरकार की नोडल एजेंसी कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों के रिकॉर्ड्स की जांच कर सकेगी और स्टाफ के बारे में जानकारी हासिल कर सकेगी। अगर कोई भी कंपनी इन प्रावधानों का उल्लंघन करती है तो कंपनी पर जुर्माना लगाया जा सकेगा।
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कर्नाटक में 20% गैर कन्नड़ आबादी काम करती है
कर्नाटक में 20 फीसदी गैर कन्नड़ आबादी काम करती है। बेंगलुरु की कंपनियों में गैर कन्नड़ कर्मचारियों की तादाद 35 फीसदी आंकी गई है। इनमें से अधिकतर उत्तर भारत, आंध्र और महाराष्ट्र से हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, बेंगलुरु शहर की कुल आबादी का 50 फीसदी गैर कन्नड़ भाषी हैं। पिछले दिनों बेंगलुरु में कन्नड़ भाषा की अनिवार्यता पर लंबी बहस भी छिड़ी थी, जिसके बाद हिंदी में नाम लिखे गए साइन बोर्ड तोड़े गए थे।
स्थानीय की परिभाषा क्या है
कर्नाटक सरकार के बिल में स्थानीय को परिभाषित किया गया है। बिल के मुताबिक, स्थानीय वो है जो कर्नाटक में जन्मा हो, 15 वर्षों से राज्य में रह रहा हो और स्पष्ट रूप से कन्नड़ बोलने, पढ़ने और लिखने में सक्षम हो।
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किन नौकरियों पर रिजर्वेशन लागू
कर्नाटक की कैबिनेट ने मंगलवार को ही 100 फीसदी रिजर्वेशन का बिल पास कर दिया है। यह रिजर्वेशन प्राइवेट कंपनियों में ग्रुप सी और डी लेवल की नौकरियों पर लागू होगा। सरकार का कहना है कि हम कन्नड़ आधारित राज्य हैं और उनके हितों की रक्षा करना हमारा पहला अधिकार है। इस बिल के पास होते ही विरोध भी शुरू हो गया है। उद्यमियों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि इस फैसले कंपनियों की कमाई और कामकाज पर असर पड़ेगा।
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