नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के मुद्दे पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा और भाजपा नेताओं के भड़काऊ बयानों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस एस मुरलीधर ने पुलिस और सरकार को फटकार लगाई थी। अब खबर है कि उनका रातोंरात तबादला करवा दिया है।
इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे के साथ विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया। इससे पहले 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस मुरलीधर समेत तीन जजों के ट्रांसफर की सिफारिश की थी। जज के ट्रांसफर के बाद विपक्ष पार्टी क्रेंद पर निशाना साध रही हैं।
जज जस्टिस एस मुरलीध का तबादला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट कर दिया गया है। वे हाईकोर्ट में जजों के वरिष्ठता क्रम में तीसरे स्थान पर थे। कानून मंत्रालय ने बुधवार देर रात उनके तबादले का नोटिफिकेशन जारी किया। बता दें कि बुधवार को उन्होंने इस मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया था। बाद में इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ को सौंप दी गई थी।
कौन हैं जस्टिस मुरलीधर?
जस्टिस मुरलीधर ने 1987 में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत शुरू की थी। वे बिना फीस के केस लड़ने के लिए चर्चित रहे हैं, इनमें भोपाल गैस त्रासदी और नर्मदा बांध पीड़ितों के केस भी शामिल हैं। 2006 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया। जस्टिस मुरलीधर साम्प्रदायिक हिंसा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को लेकर सख्त टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के हाशिमपुरा नरसंहार में दोषी पीएसी जवानों को सजा सुनाई थी। इसके अलावा 1984 दंगा केस में कांग्रेस नेता सज्जन सिंह को दोषी ठहराया। समलैंगिकों के साथ भेदभाव पर फैसला देने वाली बेंच में शामिल रह चुके हैं।
आपको बता दें दिल्ली हिंसा में गुरुवार तक मरने वालों की संख्या बढ़कर 34 हो गई है। 250 लोग जख्मी हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने भाईचारा बनाए रखने की अपील की। एनएसए अजीत डोभाल ने लगातार दूसरे दिन हिंसाग्रस्त सीलमपुर और मौजपुर का दौरा किया। लोगों से बात की और उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिया था।