हेमंत सोरेन की भाभी सीता BJP में शामिल, जानें क्यों छोड़ी झारखंड मुक्ति मोर्चा

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झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की विधायक सीता सोरेन ( Sita Soren) ने मंगलवार को पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अब  उन्होंने भाजपा का हाथ थाम लिया है। सीता सोरेन झामुमो मुक्ति मोर्चा के प्रमुख रहे शिबू सोरेन की बड़ी बहू और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी हैं। वह दुमका की जामा विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रह चुकी हैं।

भाजपा में शामिल होने के बाद, सीता सोरेन ने कहा कि झारखंड के महान सोरेन परिवार को छोड़कर मोदी जी के विशाल परिवार में शामिल हो रही हूं। मोदी जी पर लोगों के विश्वास को देखते हुए इस परिवार में शामिल हो रही हूं। मैंने भी झारखंड में कई संघर्ष किया। 14 साल जेएमएम में रहीं। मेरे ससुर और दिवंगत पति की अगुआई में झारखंड अलग राज्य बना। उनका सपना राज्य के विकास का था, लेकिन ये अधूरा रह गया।

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आज झारखंड की जनता बदलाव चाहती है। झारखंड को झुकाना नहीं बचाना है, इसलिए मैं भाजपा में शामिल हुई। मुझे उम्मीद है कि मेरे पति का सपना पूरा होगा। आनेवाले दिनों में सभी 14 सीटों में कमल खिलेगा। वहीं, सीता सोरेन के भाजपा में शामिल होने पर गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने उन्हें बधाई दी है। सोशल मीडिया एक्स पर बीजेपी सांसद ने लिखा- सीता सोरेन जी मेरे परम मित्र स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी की धर्म पत्नी हैं। उन्होंने उचित समय पर उचित निर्णय लिया। हेमंत सोरेन जी ने भ्रष्टाचारी सरकार दी, कल्पना सोरेन जी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। दुर्गा सोरेन जी का संघर्ष हेमंत खत्म करना चाहते हैं। अगला नंबर आंदोलन कारी चंपई सोरेन जी का है। सीता भाभी को बीजेपी में आने की बधाई।

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सीता सोरेन पर लगे हैं नोट फॉर वोट के आरोप
आपको बता दें, 2012 में विधायक सीता सोरेन ने कथित तौर पर राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी आरके अग्रवाल को वोट देने के लिए रिश्वत ली थी। CBI ने आरोप लगाया था कि अग्रवाल ने सीता को अपने पक्ष में वोट देने के लिए 1.5 करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी। ये पैसे सीता के पिता बी मांझी ने लिए थे।

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वहीं इस मामले में 4 मार्च 2024 को CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 जजों की सविंधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हम 1998 में दिए गए फैसले से सहमत नहीं हैं, जिसमें सांसदों और विधायकों को सदन में भाषण देने या वोट के लिए रिश्वत लेने पर मुकदमे से छूट दी गई थी। अगर कोई घूस लेता है तो केस बन जाता है। यह मायने नहीं रखता है कि उसने बाद में वोट दिया या फिर स्पीच दी। आरोप तभी बन जाता है, जिस वक्त सांसद घूस स्वीकार करता है।

 

सीता सोरेन के इस्तीफे पर पार्टी ने क्या कहा
सीता सोरेन के इस्तीफे पर पार्टी नेता मनोज मनोज पांडे ने कहा- ये खबर दुर्भाग्यपूर्ण है। वे पार्टी की एक महत्वपूर्ण अंग हैं। सोरेन परिवार की बहू हैं। जब कोई भी अंग में थोड़ी भी चोट पहुंचती है तो पूरे शरीर को दर्द होता है। इस पार्टी में जो सम्मान उन्हें मिला, मुझे नहीं लगता कि कहीं और मिलेगा। उन्हें इस प्रकार का निर्णय नहीं लेना चाहिए था। अगर वे हमारे विरोधियों के बहकावे में आ गईं हैं तो वे खुद अपना नुकसान करेंगी।

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