2 साल में 7 राज्यों में सुपर फ्लॉप हुई NDA, जानिए क्या है हार का बड़ा कारण

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) झारखंड (Jharkhand) चुनाव लगभग हार चुकी है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि भाजपा के हाथ से झारखंड राज्य भी निकल जाएगा। यानी राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बाद एक और बड़ा राज्य भगवा पार्टी के कब्जे से बाहर निकलता दिख रहा है।

भाजपा की इस हार पर राजनीतिक एक्सपर्ट्स की राय भी आनी शुरू हो गई है। उनका कहना है कि झारखंड में आदिवासी जनजातियों को नाखुश करने का नतीजा भाजपा को हार के रूप में मिला है। झारखंड सातवां राज्य है, जहां भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने पिछले दो साल में सत्ता गंवा दी है। दिसंबर 2017 में एनडीए बेहतर स्थिति में था।

भाजपा और उसके सहयाेगी दल शीर्ष पर थे। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे मध्य क्षेत्र के राज्यों में उसकी सरकार थी। बिहार में नीतीश कुमार राजद का महागठबंधन छोड़कर एनडीए में आ चुके थे और उत्तर प्रदेश में भाजपा ने रिकॉर्ड सीटों के साथ सरकार बनाई थी।

72% आबादी और 75% भूभाग वाले 19 राज्यों में एनडीए की सरकार थी। झारखंड में सत्ता गंवाने के बाद अब एनडीए के पास 16 राज्यों में ही सरकार बची है। इन राज्यों में 42% आबादी रहती है। बता दें, भाजपा ने ये सात राज्य गंवाए, लेकिन कर्नाटक, मिजोरम, त्रिपुरा और मेघालय में सरकार बनाई। इनमें कर्नाटक बड़ा है। बाकी राज्य छोटे हैं। इसलिए अब 72% की जगह देश की 42% आबादी वाले राज्यों में ही एनडीए का शासन बचा है।

आदिवासी भाजपा से नाराज-
जंगल-जमीन के सवाल पर आदिवासी सरकार से नाराज थे। राज्य में उद्योगों के लिए लैंड बैंक बनाए जा रहे थे। आदिवासी इस जमीन को अपना मानते थे। छोटा नागपुर टेनेंसी एक्ट और संथाल परगना टेनेंसी एक्ट में सरकार ने संशोधन की कोशिश की थी। आदिवासी मान रहे थे कि उनकी जमीन उद्योगों को देने के लिए यह कोशिश हो रही है। भारी विरोध के चलते इन कानूनों में संशोधन तो नहीं हुआ, लेकिन आदिवासियों की नाराजगी बढ़ गई।

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