इस राजधानी में बढ़ा खतरा, हर साल 10 इंच पानी में डूब रहा है शहर, देखिए ये तस्वीरें

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जकार्ता: दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी के लिए जाना-जाने वाला देश इन दिनों वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। हम बात कर रहे हैं इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता की। दरअसल, विशेषज्ञों का मानना है कि इस शहर के कई हिस्से हर साल 9-10 इंच पानी में डूबता जा रहा है। इस समस्या से बचने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यहां कि सरकार ने समुद्र किनारे दीवार बनवाने के लिए सोचा था और ऐसा हुआ भी लेकिन कुछ समय बाद ये प्रयास भी फेल हो गया। ऐसे में सरकार अपने पड़ोसी देशों से इस समस्या से निपटने के लिए समाधान सुझाने के लिए कह रही है। वरना कुछ सालों बाद ये पूरा शहर समुद्र में डूब जाएगा।

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क्या है शहर के समस्या-

एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये समस्या समुद्र के बढ़ते जल स्तर से नहीं बल्कि हर साल जमीन का स्तर नीचे गिरने से है।इस मुसीबत की असल जड़ शहर में पाइपलाइन से पानी के सप्लाई बहुत कम होने में छिपी है। यानी करीब 1 करोड़ लोग निजी कुओं के जरिए पानी खींच रहे हैं, जिस पर जमीन टिकी हुई है।

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जानकारों का मानना है, इस जमीन को सामान्य तौर पर पानी से भरा जा सकता है, लेकिन जकार्ता में 97 फीसदी शहर कांक्रीट की जमीन से ढका है। ऐसे में यहां हर साल होने वाली 60 इंच बारिश भी जमीन के अंदर नहीं जा रही। बारिश का सारा पानी 13 नदियों और समुद्र में बह जाता है, जिसके चलते समस्या खड़ी हो रही है। वहीं जमीन पर मौजूद हैवी कॉन्क्रीट के वजन से जमीन धंस रही है।
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सरकार की सारी कोशिश नाकाम- 
जकार्ता को सुरक्षित और स्थिति से निपटने के लिए कई प्लान प्रपोज किए गए हैं। इनमें से 40 बिलियन डॉलर की लागत से बन रही समुद्र को घेरती दीवार भी शामिल है। हालांकि, इनके काम की रफ्तार बहुत धीमी है। जकार्ता पोस्ट के मुताबिक, सी-वॉल का कंस्ट्रक्शन अभी जारी है। कई प्लान के बावजूद अब तक इस समस्या जैसी की तैसी बनी हुई है। शहर के एक्सपर्ट्स मान चुके हैं कि ये शहर जल्द ही आने वाले सालों में डूब सकता है।

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2007 में हुई 50 लोगों की मौत-
खबरों के अनुसार, यहां आई 2007 की बाढ़ सबसे खतरनाक मानी जा रही है। बताया गया कि इस बाढ़ ने शहर के 50 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था और कई लोग लापता भी हुई। लोगों के बीच अब खौफ बढ़ चुका है। जिसमें से कुछ मुस्लिम तो शहर को छोड़ भी चुके हैं, हालांकि इसका आकड़ा नहीं है।

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