हरिकोटा: चंद्रमा की सतह को लैंडर विक्रम बस कुछ ही पलों में चूमने वाला था कि विक्रम लैंडर से वैज्ञानिकों का संपर्क टूट गया। इसरो चीफ ने बताया चांद से 2.1 किमी दूर तक चंद्रयान-2 से संपर्क था लेकिन फिलहाल संपर्क टूट गया है। इसरो चीफ के मुताबिक अभी आंकड़ों का इंतजार किया जा रहा है।
वहीं इस मौके पर मौजूद पीएम मोदी ने कहा, मैं वैज्ञानिकों के साथ हूं। उन्होंने वैज्ञानिकों की काफी तारीफ की। बता दें, भारत के लिए चंद्रयान-2 मिशन काफी अहम है और चुनौतियों से भरा भी।
चांद की सतह पर उतारने की प्रक्रिया रात 1:30 से शुरू हुई थी। इसरो को अगर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता मिलती है तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश होगा और चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।
लैंडर के चांद पर उतरने के बाद 7 सितंबर की सुबह 5:30 बजे से 6:30 बजे के बीच इसके भीतर से रोवर ‘प्रज्ञान’ बाहर निकलेगा और अपने वैज्ञानिक प्रयोग शुरू करेगा. रोवर ‘प्रज्ञान’ एक चंद्र दिन (पृथ्वी के 14 दिन) तक काम करेगा।
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इससे पहले इसरो ने एक वीडियो जारी कर बताया था कि चंद्रयान-2 की लैंडिंग किस प्रकार होगी। लैंडर विक्रम की लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट के पहले 10 मिनट में चंद्रयान-2 चांद से 7.7 किलोमीटर दूर रह जाएगा। उसके बाद अगले 38 सेकंड में 5 किलोमीटर की दूरी तय करेगा।
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इसके बाद अगले 89 सेकंड में उसकी रफ्तार बेहद धीमी होगी और 400 मीटर का सफर तय करेगा। इसके बाद अगले 66 सेकंड में वो चांद से महज 100 मीटर की दूरी पर पहुंच जाएगा, लेकिन चांद तक पहुंचने का ये रास्ता आसान नहीं होगा। आखिरी 100 मीटर की दूरी पर लैंडर विक्रम लैंडिंग को लेकर आखिरी फैसला करेगा।
सॉफ्ट लैंडिंग के बाद क्या मिलेगा भारत को चांद से-
वैज्ञानिकों का दावा है कि चंद्रयान मुख्य रूप से दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में ये सब पता लगाएगा।
1. चांद पर भूकंप आते है या नहीं?
2. चांद की सतह की रासायनिक जांच होगी।
3. पानी और खनिजों का भी पता लगाएगा।
4. चांद की सतह का नक्शा तैयार हो सकेगा।
5. मैग्नीशियम, एल्युमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, टाइटेनियम, आयरन और सोडियम की मौजूदगी का पता लगेगा।
6. सोलर रेडिएशन की तीव्रता मापी जाएगी।
7. गड्ढों में बर्फ के रूप में जमा पानी का पता लगेगा।
8. चंद्रमा के बाहरी वातावरण को स्कैन होगा।
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