RCEP के खिलाफ देशभर में किसान आज सड़क पर, जानिए क्या है पूरा मामला

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नई दिल्ली: रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) में भारत के शामिल होने के विरोध में सोमवार को देशभर में किसान सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की चिंता है कि अगर भारत आरसीईपी की संधि में शामिल होता है तो देश के कृषि क्षेत्र पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। इतना ही नहीं भारत का डेयरी उद्योग पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा।

किसान संगठनों का कहना है कि देश में किसानों की हालत पहले से ही बहुत खराब है। फसल नष्ट होने, सही दाम न मिलने और कर्ज के बोझ से दबे होने के कारण किसानों के आत्महत्या करने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। किसानों की दुर्दशा को नजरअंदाज कर सरकार किसानों को बर्बाद करने वाले आरसीईपी पर हस्ताक्षर करने जा रही है। आरसीईपी पर भारत के हस्ताक्षर करने के बाद देश का डेयरी उद्योग पूरी तरह से तबाह हो जाएगा।

आरसीईपी में भारत के शामिल होने पर किसान संगठनों ने कड़ी आपत्ति  जताते हुए कहा है कि ये संधि होती है तो देश के एक तिहाई बाजार पर न्यूजीलैंड, अमेरिका और यूरोपीय देशों का कब्जा हो जाएगा और भारत के किसानों को इनके उत्पाद का जो मूल्य मिल रहा है, उसमें गिरावट आ जाएगी। इसी मद्देनजर देश में करीब 250 किसान संगठन जिला और स्थानीय स्तर पर इसके विरोध में प्रदर्शन करेंगे।

क्या है RCEP:

आरसीईपी एक ट्रेड अग्रीमेंट है जो कि सदस्य देशों को एक दूसरे के साथ व्यापार में कई सहूलियत देगा। इसके तहत निर्यात पर लगने वाला टैक्स नहीं देना पड़ेगा या तो बहुत कम देना होगा। इसमें आसियान के 10 देशों के साथ अन्य 6 देश हैं।

किसान संगठनों का कहना है कि भारत में ज्यादातर किसानों के पास 2 से 4 गाय हैं, जिनके दूध से उनका परिवार चलता है। वहीं, दूसरी ओर न्यूजीलैंड के किसानों के पास 1000-1000 की संख्या में गाय हैं। आरसीईपी समझौता होने से 90 फीसदी वस्तुओं पर आयात शुल्क जीरो हो जाएगा। इससे भारतीय उद्योगों और किसानों की कमर पूरी तरह टूट जाएगी। हालांकि भारत स्पष्ट कर चुका है वह निष्पक्ष और पारदर्शी करार में ही शामिल होगा। भारत घरेलू उद्योगों के सुरक्षा की मांग कर रहा है।

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