Interview: सास-बहू साजिश जैसी नहीं, क्रिएटिव है ‘बिन कुछ कहे’ की कहानी: राजश्री ओझा

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मुम्बई: फिल्म इंडस्ट्री को चौराहे, आयशा, एक्स: पास्ट इज प्रजेंट जैसी फिल्में देने वाली फिल्म निर्माता और निर्देशक राजश्री ओझा इन दिनों एक बार फिर चर्चा में हैं लेकिन इस बार अपने नए धारावाहिक शो की वजह से। जी हां 9 फरवरी को टेलीकास्ट हुए जीटीवी के नए शो बिन कुछ कहे। आपको बता दें ये शो एक मां और उसकी तीन बेटियो की कहानी के साथ एक लव स्टोरी पर आधारित है। इसी दौरान राजश्री से हमारी संवाददाता निधि से हुई बातचीत के कुछ अंश इस तरह है…

इस धारावाहिक से क्या उम्मीदें हैं?

देखिए काम करने वाला हर व्यक्ति चाहता है कि उसका किया हुआ काम सबको पसंद आए..वैसी ही उम्मीद मुझे भी है। एक प्रेशर भी है खुद को बेहतर साबित करने का बाकी तो सब ऑडियंस पर निर्भर करता है।

दर्शकों को शो में क्या नया मिलेगा?

सबसे पहले मैं कहना चाहूंगी कि टाइटल जैसा है वैसा ही शो है यहां ड्रामा है लेकिन सास-बहू साजिश जैसा नहीं। बिन कुछ कहे ही शो के कई सीन्स पर्दे पर उतारने की कोशिश की है। बेशक फैमिली ड्रामा है लेकिन इमोशनंस और रोमांस दर्शकों को बांधे रखेंगा। काफी लोगों के एक्सपीरियंस से इस कहानी को तैयार किया गया है। उम्मीद है जरूर पसंद आएगा। (हंसते हुए)

बॉक्स-ऑफिस पर आपकी फिल्मों को ज्यादा सराहा गया नहीं, इस पर कुछ कहना चाहेंगी?

मुझे नहीं पता कि इस पर क्या कहूं। हमने फिल्में बनाई है, कुछ लोगों को यह पसंद आई और कुछ को नहीं। जैसे मैंने पहले भी कहा हम काम करते है अब उसका परिणाम तो दर्शक ही देंगे।

bin kuch kahe

आप पूर्वी भारत से हैं लेकिन रूझान हिन्दी सिनेमा में, इसके बारें में क्या कहना है?

(हंसते हुए) क्रिएटिविटी मुझे आकर्षित करती फिर लैग्वैंज कोई भी हो..इससे पहले भी में शॉर्टफिल्म बना चुकी हूं। आपके सवाल के जवाब में एक किस्सा बताना चाहूंगी। दरअसल, मेरे एक साथी है जिन्होंने बातों ही बातों में मुझे इस स्टोरी के बारें में बताया और पूछा क्रिएटिविटी चाहिए या पैसा। मैंने कहा तो काम के पीछे आ ही जाएगा। बस फिर क्या था हमने इस स्टोरी पर काम किया और अब पसंद-नापसंद का फैसला ऑडियंस तय करेगी।

बतौर प्रोडूयसर कितना अंतर है टेलीविजन और फिल्मों में? 

बड़ा अंतर है.. सबसे ज्यादा चैलेजिंग काम ही टेलीविजन में है। इसके अलावा कई सुधार करने के मौके भी मिल जाते है। हर दिन नया चैलेंज, फिर चाहें किरदार हो या कहानी। लेकिन फिल्मों में उल्टा है। एक निर्धारित समय में सारा काम करना होता है साथ ही फिल्मों की ऑडियंस वर्ल्डवाइड होती है।

सुनने में आया है कि आप सैयामी खेर के साथ फिल्म बना रही है?

जी नहीं.. ये केवल अफवाह है, लेकिन ये जरूर कहूंगी कि हम कुछ प्रोजेक्ट पर काम कर रहे है। अगर ऐसा कुछ होगा तो हम बताएंगे लेकिन फिलहाल सैयामी को किसी फिल्म के लिए साइन नहीं किया गया है।

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