अर्जेंटीना: जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्तीय अपराध को दुनिया के लिए बड़ा खतरा बताया और इसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए 9 सूत्रीय एजेंडा दुनिया के सामने रखा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे समेत विश्व के कई देशों के राष्ट्रध्यक्षों के साथ वैश्विक और बहुपक्षीय हितों के बड़े मुद्दों पर चर्चा की।
बैठक में कालेधन के मुद्दे को प्रमुखता से रखते हुए पीएम मोदी ने कालेधन के खिलाफ सभी देशों को एकजुट होने की बात कही। इस दौरान उन्होंने भगोड़े आर्थिक घोटालेबाजों का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने अपने भाषण में आतंकवाद का मुद्दा भी उठाया और कहा कि इस समय आतंकवाद के खतरे का सामना पूरी दुनिया कर रही है।
मोदी ने कहा, ‘दुनिया भर के देशों को आतंकवाद और आर्थिक अपराधों से निपटने के लिए एकजुट होना चाहिए। यह आज की जरूरत है। हमें आतंकवाद, कट्टरवाद और वित्तीय अपराधों के खिलाफ मिलकर कदम उठाना होगा।’प्रधानमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि जी-20 फोरम को अपने देश में लिए गए भारी कर्ज को चुकाए बिना दूसरे देशों में पनाह लेने वाले आर्थिक अपराधियों की संपत्तियों की पहचान करने के लिए काम शुरू करने पर विचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘कानूनी प्रक्रियाओं में सहयोग जैसे अपराधियों की संपत्ति को जब्त करना और उनके स्वदेश प्रत्यर्पण को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।’ पीएम ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के सिद्धांतों (यूएनसीएसी) और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध (यूएनओटीसी) के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संधिपत्र, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय सहयोग से संबंधित सिद्धांतों को पूरी तरह से और प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा, ‘भगोड़े आर्थिक अपराधियों की एक मानक परिभाषा तय करने का काम फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को सौंपा जाना चाहिए। एफएटीएफ को भगोड़े आर्थिक अपराधियों से निपटने को लेकर उनकी पहचान, उनका प्रत्यर्पण और उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मानक प्रक्रियाएं तय करनी चाहिए, जिसपर सबकी सहमति हो। इससे जी-20 देशों में ऐसे मामलों से निपटने में सहायता मिलेगी।
भारत ने प्रत्यर्पण के सफल मामलों, प्रत्यर्पण की मौजूदा प्रणाली में खामी और कानूनी सहायता इत्यादि को लेकर अनुभवों को साझा करने के लिए एक साझा प्लेटफॉर्म बनाने की भी वकालत की है।’ साथ ही, यह भी कहा गया है कि जी-20 फोरम को भगोड़े आर्थिक अपराधियों की संपत्तियों का पता लगाने पर विचार करने का काम शुरू करना चाहिए।
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