सेमीफाइनल आज, अब होगी रोहित-कोहली की असली परीक्षा, जानें क्या है टीम इंडिया का फियर ऑफ फेल्योर?

फियर ऑफ फेल्योर एक ऐसी अवस्था है जिसमें लोग ऐसा कोई फैसला नहीं लेते, जिसमें हार की संभावना हो। वो न तो नई चीजें ट्राई करते हैं और न ही रिस्क लेना चाहते हैं। 

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India vs New Zealand Match Day: 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद आज एक बार फिर दिल की धड़कनें बढ़ाने वाला मुकाबला हमारे सामने है। यह भी वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल। 15 नवंबर यानी आज वानखेड़े स्टेडियम मुंबई में हमारी टीम फिर उसी न्यूजीलैंड के खिलाफ उतरेगी जिससे साल 2019 में सेमीफाइनल मैच 18 रन से हार कर वर्ल्ड कप से बाहर हो गया था।

यह पांचवां मौका था जब भारतीय टीम किसी ICC इवेंट के सेमीफाइनल या फाइनल में हारी थी। उसके बाद तीन बार और ऐसा हो चुका है। पिछले 10 साल में 9 अलग-अलग ICC टूर्नामेंट में 8 बार ऐसा हो चुका है जब भारतीय टीम नॉकआउट राउंड का कोई मैच हारकर बाहर हो गई।

जिससे एक सवाल उठ रहा है कि इंडियन टीम कहीं एक बार फिर से नॉकआउट मुकाबले में फियर ऑफ फेल्योर का शिकार तो नहीं हो जाएगी। फियर ऑफ फेल्योर यानी मुकाबले से पहले फेल हो जाने का डर। 2019 में भी प्लेइंग-11 में दिग्गज खिलाड़ी रोहित शर्मा और विराट कोहली भी थे। दोनों बल्लेबाज फेल हो गए थे और टीम को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी।

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कोहली और रोहित का रिकॉर्ड सेमीफाइनल मैच काफी खराब रहा है और यह टीम इंडिया के लिए चिंता की बात है। यहां टीम की फियर ऑफ फेल्योर की बात इसलिए भी करना जरुरी है क्योंकि टीम के खिलाड़ियों के रिकॉर्ड भी ये ही दर्शाते हैं।

नॉकआउट में नहीं चला विराट का बल्ला
विराट का यह चौथा विश्व कप है। उन्होंने 2011 में नौ मैचों में 282 रन, 2015 में आठ मैचों में 305 रन और 2019 में नौ मैचों में 443 रन बनाए थे। इन तीनों विश्व कप में कोहली ने लीग राउंड में तो रन बरसाए थे, लेकिन नॉकआउट में वह असफल रहे थे। 2011 विश्व कप के क्वार्टरफाइनल में विराट ऑस्ट्रे्लिया के खिलाफ 24 रन ही बना पाए थे। सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ नौ और फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ 35 रन बनाकर आउट हुए थे। 2015 विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में बांग्लादेश के खिलाफ कोहली ने तीन और सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिर्फ एक रन बनाए थे। उसके बाद 2019 विश्व कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ भी एक रन ही बना पाए थे।

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दो सेमीफाइनल मैच में रोहित भी फेल
रोहित शर्मा का यह तीसरा विश्व कप है। 2015 विश्व कप में रोहित शर्मा ने आठ मैचों में 330 रन बनाए। क्वार्टर फाइनल में उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ 137 रन जरूर बनाए थे, लेकिन सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के सामने सिर्फ 34 रन बना पाए थे। इसके बाद 2019 विश्व कप के सेमीफाइनल में वह न्यूजीलैंड के खिलाफ एक रन ही बना पाए थे। ऐसे में हिटमैन दो सेमीफाइनल की कड़वी यादों को भुलाकर इस बार रन बरसाना चाहेंगे।

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सेमीफाइनल में भारत के खिलाड़ियों का अबतक का स्कोर

बल्लेबाज साल खिलाफ रन
सौरव गांगुली 2003 केन्या 111*
सचिन तेंदुलकर 2011 पाकिस्तान 85
सचिन तेंदुलकर 2003 केन्या 83
रवींद्र जडेजा 2019 न्यूजीलैंड 77
सचिन तेंदुलकर 1996 श्रीलंका 65
महेंद्र सिंह धोनी 2015 ऑस्ट्रेलिया 65
मोहम्मद अजहरुद्दीन 1987 इंग्लैंड 64
यशपाल शर्मा 1983 इंग्लैंड 61
संदीप पाटिल 1983 इंग्लैंड 51*
महेंद्र सिंह धोनी 2019 न्यूजीलैंड 50

 

फियर ऑफ फेल्योर में भारत का 48 साल का रिकॉर्ड

  • 1975 से 1983: 1975 और 1979 वर्ल्डकप में भारत नॉकआउट में पहुंचा ही नहीं। 1983 में पहली बार नॉकआउट में पहुंचे और चैंपियन बने।
  • 1984 से 2006: भारत ने 11 ICC टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। इनमें से 5 में हम सेमीफाइनल या फाइनल में हारे। 1 फाइनल बारिश के कारण पूरा नहीं हुआ, जिसमें भारत संयुक्त विजेता बना था। 5 टूर्नामेंट ऐसे थे जिसमें भारत नॉकआउट राउंड में पहुंचा ही नहीं। 1983 वर्ल्डकप के बाद से 2007 के वनडे वर्ल्डकप तक भारत एक भी ICC टूर्नामेंट नहीं जीत सका।

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  • 2007 से 2013: 2007 टी-20 वर्ल्डकप से लेकर 2013 चैंपियंस ट्रॉफी तक 7 ICC टूर्नामेंट में भारत ने हिस्सा लिया। इसमें टीम इंडिया 3 के नॉकआउट राउंड में पहुंची और तीनों में खिताब जीता।
  • 2014 से 2023: अभी चल रहे वर्ल्डकप से पहले भारत 9 में से 8 ICC टूर्नामेंट के नॉकआउट में पहुंचा और एक भी खिताब नहीं जीत पाया है।

फियर ऑफ फेल्योर क्या है?
फियर ऑफ फेल्योर एक ऐसी अवस्था है जिसमें लोग ऐसा कोई फैसला नहीं लेते, जिसमें हार की संभावना हो। वो न तो नई चीजें ट्राई करते हैं और न ही रिस्क लेना चाहते हैं।

  • हारने का डरः आप हर हाल में जीतना चाहते हो, लेकिन मन में डर बैठ जाता है कि नहीं जीत सकते।
  • लोग क्या कहेंगेः मैच से पहले यह डर बैठ जाना कि हार की स्थिति में लोग क्या कहेंगे। समाज, देश इस नतीजे को किस रूप में लेगा।
  • शर्मिंदा होने का डरः इस खौफ का आ जाना कि फेल होने की स्थिति में दूसरों के सामने शर्मिंदा होना पड़ेगा।
  • उम्मीद पर खरा न उतरने का डरः आपको पता होता है कि लोगों की आपसे उम्मीदें आसमान छू रही हैं, लेकिन आपको डर लगता है कि लोगों की उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाएंगे।

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