देश में भारत बनाम इंडिया (INDIAvsBHARAT) नाम को लेकर बहस छिड़ी हुई है। देश का ‘आधिकारिक’ नाम बदला जाएगा या नहीं, ये अभी पूरी तरह साफ नहीं है, लेकिन इस खबर को पुख्ता करने वाली कई चीजें जी-20 समिट में देखने को मिल रही है लेकिन इससे पहले बता दें कि, इंडिया को बदलकर देश के नाम की जगह भारत लिखना मोदी सरकार पहले ही शुरू कर चुकी थी। दरअसल, जब पीएम मोदी पिछले महीने साउथ अफ्रीका और ग्रीस के दौरे पर गए थे। तब उनके फंक्शन नोट्स पर भी भारत के प्रधानमंत्री लिखा हुआ था लेकिन इसपर ध्यान अब गया।
अब बात, G20 इवेंट से जुड़े नए पहचान पत्र (आइडेंटिटी कार्ड) की। जो अब सामने आए हैं। इनपर अब Indian offical की जगह Bharat Official यानी भारत के अधिकारी लिखा है। इतना ही नहीं, आसियान समिट से जुड़े फंक्शन नोट्स पर नरेंद्र मोदी के साथ भारत के प्रधानमंत्री लिखा है। इससे पहले तक ऐसे फंक्शन नोट्स पर इंडिया के पीएम लिखा होता था।
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इसकी जानकारी बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर कर दी। ”भारत के प्रधानमंत्री (यहां प्राइम मिनिस्टर ऑफ इंडिया की जगह प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत लिखा गया है) श्री नरेंद्र मोदी की इंडोनेशिया गणराज्य की यात्रा (20वां आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वां ईएएस शिखर सम्मेलन) 7 सितंबर, 2023 को होगी।”
BJP spokesperson Sambit Patra posts on X official information on PM Modi”s visit to Indonesia, referring to him as the ”Prime Minister of Bharat” pic.twitter.com/Kg8jDUh7ig
— Press Trust of India (@PTI_News) September 5, 2023
इंडिया बनाम भारत मुद्दे पर बहस?
बता दें कि मंगलवार (5 सितंबर) को पीएम मोदी को ‘प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत’ संबोधित किए जाने पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से भेजे गए जी-20 रात्रिभोज के निमंत्रण पर ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ लिखा होने का मुद्दा कई विपक्षी दलों ने उठाया। उन्होंने कहा कि इस पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार ‘इंडिया’ शब्द हटाने की योजना बना रही है और देश का नाम केवल भारत रहेगा।
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जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर घेरा तो वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन आदि दिग्गज नेताओं ने भी ‘इंडिया या भारत’ मुद्दे पर सरकार को निशाने पर लिया।
संविधान में भारत और इंडिया दोनों शब्दों का इस्तेमाल
वैसे इस मामले में चर्चा आगे बढ़ाने से पहले ये समझना जरूरी है कि देश के नाम को लेकर संविधान में क्या कहा गया है। संविधान का अनुच्छेद 1.1 ये बताता है कि आधिकारिक या अनाधिकारिक मकसद के लिए देश का नाम क्या होगा। ये अनुच्छेद कहता है कि ‘India , that is Bharat, shall be an union of states’ जबकि हिंदी में लिखा है भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा।
सुप्रीम कोर्ट में भी गया है देश के नाम का मामला
ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी जा चुका है। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में एक जनहित याचिका पर विचार से इनकार कर दिया था। याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र सरकार को इंडिया का नाम बदलकर भारत रखने का निर्देश दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ़ जस्टिस एचएल दत्तू और जस्टिस एके सीकरी ने याचिकाकर्ता निरंजन भटवाल को कहा कि वो इस सिलसिले में पहले सरकार के संबंधित विभाग में जाएं।
केंद्र सरकार ने SC को बताया था, देश को इंडिया की जगह भारत कहने की ज़रूरत नहीं
इसी मामले में 2015 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि देश को इंडिया की जगह भारत कहने की जरूरत नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोर्ट को बताया था कि देश के नाम के मुद्दे पर संविधान सभा में विस्तार से बहस हुई थी और अनुच्छेद 1 को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया था। ये भी कहा गया कि भारत नाम संविधान के मूल ड्राफ्ट में शामिल नहीं था।
संविधान सभा में चर्चाओं के दौरान भारत, भारतभूमि, भारतवर्ष, INDIA that is Bharat और Bharat that is India पर विचार किया गया। केंद्र ने कहा कि संविधान सभा में चर्चा के बाद से हालात में ऐसे कोई बदलाव नहीं आए हैं कि नाम की समीक्षा की जाए।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विकास सिंह कहते हैं कि भारत शब्द के इस्तेमाल के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत नहीं है। वहीं संविधान के मामलों के जानकार और लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य का कहना है कि अगर सब जगह इंडिया के स्थान पर भारत किया गया, तो संविधान में भी संशोधन की जरूरत होगी।
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