प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन के बीच अरबों डॉलर के रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। दोनों नेताओं की यह बैठक ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में होनेवाली बैठकों से हटकर होगी। इस दौरान भारत और रूस के बीच चार युद्धपोत, पांच एस-400 एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम और कामोव-226टी हेलीकॉप्टर का भारत में संयुक्त उत्पादन शुरु करने पर समझौते होंगे।
दोनों देशों के बीच 200 हल्के हेलीकॉप्टरों की खरीद समेत कई अहम समझौतों पर बातचीत अंतिम दौर में है। सरकार में पदस्थ एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “भारत और रूस फिर से नजदीक आए हैं। हम रक्षा क्षेत्र में सहयोग को लेकर मास्को के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हमारे संबंधों की प्रगाढ़ता का एक नमूना एस-400 एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम की खरीद है। अमेरिका के साथ भी हमारे रिश्ते अच्छे हैं लेकिन मास्को के साथ हमारी दोस्ती पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़नेवाला है।”
ये रक्षा सौदे ऐसे माहौल में हो रहे हैं जब उरी में सेना के कैम्प पर हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की धरती पर पाकिस्तान के साथ रूस के पहले संयुक्त सैनिक अभ्यास की खबरें आई थीं। हालांकि, भारतीय अधिकारियों को भरोसा है कि पाकिस्तान के साथ संयुक्त सैनिक अभ्यास के बावजूद नई दिल्ली और मॉस्को के बीच पुराने संबंधों में प्रगाढ़ता कम नहीं हुई है। दोनों देशों के बीच अभी भी दोस्ती मजबूत है और उस पर पाकिस्तान का कोई असर पड़नेवाला नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक, एडमिरल ग्रिगोरोविच (प्रोजेक्ट 11356) श्रेणी के 4 युद्धपोत में से 2 की आपूर्ति रूस से की जाएगी जबकि 2 युद्धपोत का निर्माण भारत में होगा। सूत्रों ने बताया कि ऐसे युद्धपोत के निर्माण के लिए शिपयार्ड का चयन किया जा चुका है। 3620 टन भार वाले एडमिरल ग्रिगोरोविच-क्लास युद्धपोत पर ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती की जा सकती है। यह 6 तलवार श्रेणी के युद्धपोत का ही हिस्सा है जिसे रूस ने भारतीय नौसेना के लिए साल 2003 और 2013 में बनाया था।
सूत्रों ने बताया कि भारत रूस के साथ करीब 4.5 बिलियन डॉलर की कीमतवाले पांच एस-400 LRSAM एंटी क्राफ्ट सिस्टम खरीदने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समझौता करेगा। एस-400 मिसाइल सिस्टम को दुनियाभर में सबसे अत्याधुनिक एयर डिफेन्स सिस्टम माना जाता है जो किसी भी मिसाइल, ड्रोन और फाइटर जेट विमान को 400 किलोमीटर के दायरे में मार गिराने में सक्षम है। एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अगुवाई वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल ने पिछले साल दिसंबर में दी थी। अब चीन के बाद भारत एस-400 एंयी एयरक्राफ्ट मिसाइल को खरीदनेवाला दूसरा अंतरराष्ट्रीय खरीरदार बन जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि इन दोनों डील के अलावा भारत और रूस 200 कामोव-226T हल्के हेलीकॉप्टर के संयुक्त उत्पादन पर भी समझौता करेंगे। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड भारत की ओर से इस संयुक्त उपक्रम की अगुवाई करेगा। कामोव हेलीकॉप्टर का इससे पहले भारत में ट्रायल हो चुका था लेकिन साल 2014 में उस डील को रद्द कर दिया गया था। बाद में पीएम मोदी के मॉस्को दौरे पर दोनों देशों के बीच फिर से इस हेलीकॉप्टर की डील पर मुहर लगी। कामोव हेलीकॉप्टर के उत्पादन से संबंधित रक्षा सौदे को पीएम मोदी की अति महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया कार्यक्रम की सफलता से जोड़कर देखा जा रहा है।