भारत में मिला Monkeypox का खतरनाक स्ट्रेन, WHO ने हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया, जानें पूरा मामला?

मंकीपॉक्स (Monkeypox) और चेचक एक ही वायरस फैमिली से हैं। WHO और दुनिया भर की नेशनल हेल्थ एजेंसियों के पास चेचक से लड़ने का दशकों का अनुभव है, जिसे 1980 में दुनिया से खत्म घोषित कर दिया गया था।

0
69

भारत में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के पहले क्लेड-1 स्ट्रेन का पहला मरीज मिला है। यह वही स्ट्रेन है, जिसे वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर चुका है। मरीज पिछले हफ्ते UAE से केरल लौटा था। केरल के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, पीड़ित 38 साल का है। 17 सितंबर को मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर उसने खुद को क्वारंटीन कर लिया था।

इससे पहले 9 सितंबर को देश में मंकीपॉक्स के पहले मरीज मिलने की पुष्टि हुई थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि विदेश से लौटे एक व्यक्ति को 8 सितंबर को मंकीपॉक्स के संदेह में आइसोलेशन में रखा गया था। सैंपल लेकर जांच कराई गई, जिसमें मंकीपॉक्स के स्ट्रेन क्लेड-2 की पुष्टि हुई थी।

इससे पहले, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। भारत ने 20 अगस्त को देश के सभी पोर्ट्स, एयरपोर्ट के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटे बॉर्डर पर अलर्ट जारी किया था। यह दो साल में दूसरी बार है, जब WHO ने मंकीपॉक्स को लेकर हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, मंकीपॉक्स की शुरुआत अफ्रीकी देश कांगो से हुई थी। अफ्रीका के दस देश इसकी गंभीर चपेट में हैं। इसके बाद यह दुनिया के बाकी देशों में फैला।

ये भी पढ़ें: केरल में मंकीपॉक्स से एक शख्स की मौत, जांच में जुटा स्वास्थ्य विभाग

कोरोना की तरह मंकीपॉक्स विमान यात्रा और ट्रैवलिंग के अन्य साधनों के जरिए दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल रहा है। WHO इसलिए भी चिंतित है, क्योंकि मंकीपॉक्स के अलग-अलग मामलों में मृत्यु दर भी अलग-अलग देखी गई है। कई बार तो यह 10% से भी ज्यादा रही है।

क्यों मंकीपॉक्स वायरस से डरी दुनिया
पहली बार मंकीपॉक्स (Monkeypox) 1958 में खोजा गया था। तब रिसर्च के लिए रखे दो बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण सामने आए थे। इंसानों में इसका पहला मामला 1970 में कॉन्गों में 9 साल के बच्चे में पाया गया। आम तौर पर ये बीमारी रोडेंट्स यानी चूहे गिलहरी और नर बंदरों से फैलती है।

ये भी पढ़ें: Bharat Bandh: क्या है क्रीमी लेयर? जिसके विरोध में दलित-आदिवासी संगठनों ने किया भारत बंद

मंकीपॉक्स (Monkeypox) और चेचक एक ही वायरस फैमिली से हैं। WHO और दुनिया भर की नेशनल हेल्थ एजेंसियों के पास चेचक से लड़ने का दशकों का अनुभव है, जिसे 1980 में दुनिया से खत्म घोषित कर दिया गया था। उसका अनुभव मंकीपॉक्स के इलाज में काम आ सकता है।

इतने सालों में यह बीमारी कभी भी बड़े पैमाने पर अफ्रीका के बाहर नहीं गई, लेकिन इस बार बिना अफ्रीका की ट्रैवल हिस्ट्री के विकसित देशों में मंकीपॉक्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसी नए पैटर्न की वजह से दुनिया घबराई हुई है।

ये भी पढ़ें: इजराइल का सबसे बड़ा हमला, 356 की मौत, बौखलाया हिजबुल्लाह, लगी इमरजेंसी, देखें VIDEO

क्या मंकीपॉक्स महामारी बन सकती है?
यूरोप में WHO की पैथागन थ्रेट टीम के प्रमुख रिचर्ड पेबॉडी के मुताबिक मंकीपॉक्स आसानी से नहीं फैलता और इससे फिलहाल कोई जानलेवा गंभीर बीमारी नहीं हो रही। इसके आउटब्रेक को लेकर कोविड-19 जैसे बड़े वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं है। लोग संक्रमण से बचाव के लिए सेफ सेक्स करें, हाइजीन का ध्यान रखें और नियमित तौर पर हाथ धोते रहें।

UK हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी का भी मानना है कि इसके देशभर में फैलने का रिस्क बहुत कम है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बात के कोई संकेत नहीं मिले हैं कि मंकीपॉक्स का वायरस म्यूटेट होकर और ज्यादा खतरनाक वैरिएंट विकसित कर रहा है। यह कोविड नहीं है। यह हवा में नहीं फैलता और हमारे पास इसे रोकने के लिए वैक्सीन मौजूद है।

क्या है मंकीपॉक्स के लक्षण:

  • मंकीपॉक्स के लक्षण स्मालपॉक्स और चिकिनपॉक्स जैसे होते हैं
  • शुरुआत में मरीज को बुखार होगा, लिम्फ नोड्स बढ़ी हुई लग सकती हैं
  • 1-5 दिनों के बाद रोगी को चेहरे, हथेलियों और तलवों पर चकत्ते दिख सकते हैं
  • मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के बाद आंख की कॉर्निया में भी रैशेज हो सकते हैं, जो अंधेपन का कारण बन सकता है

लेटेस्ट खबरों के लिए व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े, यहां लिंक पर क्लिक करें…

मंकीपॉक्स से कैसे हो सकता है बचाव, हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन जारी

  • सभी हेल्थ सेंटर ऐसे लोगों पर कड़ी नजर रखें, जिनके शरीर पर दाने दिखते हैं। पिछले 21 दिनों में मंकीपॉक्स सस्पेक्टेड देशों की ट्रैवल हिस्ट्री, किसी मंकीपॉक्स सस्पेक्टेड से सीधा संपर्क रहा हो।
  • सभी संदिग्ध केस को हेल्थकेयर फैसिलिटी में आइसोलेट किया जाएगा, जब तक उसके दानों की पपड़ी नहीं उधड़ जाती।
  • मंकीपॉक्स संदिग्ध मरीजों के फ्लूइड या खून का सैंपल NIV पुणे में टेस्ट के लिए भेजा जाएगा।
  • अगर कोई पॉजिटिव केस पाया जाता है, तो फौरन कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग शुरू की जाएगी।
  • विदेश से आने वाले यात्रियों को ऐसे लोगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए जो स्किन रोग से पीड़ित हों।
  • यात्रियों को चूहे, गिलहरी, बंदर सहित जीवित अथवा मृत जंगली जानवरों के संपर्क में नहीं आना चाहिए।
  • अफ्रीकी जंगली जीवों से बनाए गए उत्पादों जैसे- क्रीम, लोशन, पाउडर का इस्तेमाल करने से बचें। शिकार से प्राप्त मांस को न तो खाएं और न ही बनाएं।

ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं