दक्षिण पश्चिम मानसून ने श्रीलंका में भारी तबाही मचा दी है। इस आपदा में 100 लोगों की मौत और कई लोग लापता हो गए हैं। सैकड़ों मकान नष्ट हो गए हैं और कई सड़कें टूट गई हैं। खबरों के मुताबिक, श्रीलंका में लगभग 40 साल बाद इस तरह की बारिश हुई है। इससे पहले 1970 के दशक में इतनी जबरदस्त बारिश दर्ज की गई थी।
भारी बारिश से आई बाढ़ के कारण सात जिलों में 20,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। खबरों के मुताबिक गाले सबसे बुरी तरह प्रभावित जिला है जहां 7,157 लोग इससे प्रभावित हुए हैं।
आपदा प्रबंधन केंद्र (डीएमसी) के उप मंत्री दुनेश गनकानदा ने कहा, हमने 1970 के दशक के बाद से सबसे जबरदस्त बारिश देखी है। हम कुछ इलाकों में राहत कार्य कर रहे हैं जबकि हम प्रभावित इलाकों में कुछ मकानों तक नहीं पहुंच सकते।
गनकानदा ने बताया कि सरकार ने राहत के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों को सतर्क कर दिया है। उप मंत्री करूणारत्ने परनाविताना ने कहा कि विदेश मंत्रालय हालात की निगरानी कर रहा है और जरूरत के मुताबिक सहायता मांगेगा। श्रीलंकाई वायु सेना और नौसेना बाढ़ में फंसे लोगों को हेलीकॉप्टरों और नौकाओं के जरिए राहत मुहैया करने के लिए काम कर रही है।
पीएम मोदी ने ट्वीट में कहा, हम इस मुश्किल घड़ी में हमारे श्रीलंकाई भाइयों एवं बहनों के साथ खड़े हैं। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, कोलंबो में पहला पोत कल सुबह पहुंचेगा। दूसरा पोत रविवार को पहुंचेगा। इसके अलावा और भी सहायता भेजी जा रही है।
मौसम विभाग प्रमुख आरएस जयशेखर ने बताया कि मानसून का चरम पार हो गया लेकिन अगले कुछ दिनों में और अधिक बारिश होने की उम्मीद है। यह 30 मई को फिर से तेज होने की उम्मीद है। अधिकारियों ने बताया कि कलुतारा में भूस्खलन से और रत्नापुरा जिले में बाढ़ से ज्यादातर लोग मारे गए हैं।
उन्होंने बताया कि प्रतिकूल मौसम ने सात जिलों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। आपदा प्रबंधन केंद्र के मुताबिक श्रीलंका के कई हिस्सों में कल से हो रही मुसलाधार बारिश की वजह से पश्चिमी और दक्षिणी प्रांत के सबारागामुवा में 2,811 परिवारों के कुल 7,856 लोग प्रभावित हुए।
कालूतारा जिला सचिवालय के फील्ड अफसर ने कहा कि सिर्फ इसी जिले से 38 लोगों की मौत की खबर है। केंद्र ने लोगों से बढ़ते जलस्तर को लेकर सतर्क रहने को कहा है और अस्थिर ढलान वाली जगहों को छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जाने को कहा है। नकदी फसलों के लिए श्रीलंका में वनों की बड़े पैमाने पर कटाई हुई है। इसलिए, देश में मानसून के दौरान अक्सर भूस्खलन होता है। पिछले साल देश में एक भीषण भूस्खलन में 100 से अधिक लोग मारे गए थे।
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