भारत में बढ़ रहे रैनसमवेयर अटैक, जानिए इससे कैसे बचें

भारत रैनसमवेयर से सबसे ज्यादा प्रभावित 140 देशों की लिस्ट में 6वें स्थान पर है। लगभग 600% की बढ़ोतरी के साथ इजराइल सबसे आगे रहा।

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टेक डेस्क: गूगल ने पिछले डेढ़ साल में जमा किए गए 8 करोड़ से ज्यादा रैनसमवेयर सैंपल का एनालिसिस किया है। इसके आधार पर भारत रैनसमवेयर से सबसे ज्यादा प्रभावित 140 देशों की लिस्ट में 6वें स्थान पर है। लगभग 600% की बढ़ोतरी के साथ इजराइल सबसे आगे रहा। इसके बाद दक्षिण कोरिया, वियतनाम, चीन, सिंगापुर, भारत, कजाकिस्तान, फिलिपींस, ईरान और UK सबसे ज्यादा प्रभावित टॉप 10 देशों में शामिल हैं। गूगल ने ये आंकड़े वायरस टोटल (Virus Total) की संख्या के आधार पर जारी किए हैं।

वायरस टोटल साइबर सिक्योरिटी कंपनी है
वायरस टोटल एक साइबर सिक्योरिटी कंपनी है जो गूगल क्लाउड प्लेटफॉर्म (GCP) का हिस्सा है। ये जून 2004 में लॉन्च किया गया, सितंबर 2012 में गूगल ने इसे अपना बना लिया था।
​वायरस टोटल के हेड डियाज का कहना है कि रैनसमवेयर-ए-ए-सर्विस ग्रुप गैंडक्रैब की वजह से 2020 की पहली दो तिमाहियों में रैनसमवेयर एक्टिविटी को सबसे ज्यादा देखा गया है।

क्या होता है रैनसमवेयर?
रैनसमवेयर एक तरह का मालवेयर होता है, जो आपके कंप्यूटर में घुसकर एक्सेस हासिल कर लेता है। वो आपकी सभी फाइल को एन्क्रिप्टेड कर देता है। डेटा और एक्सेस वापस देने के एवज में फिरौती की मांग करता है।

इस साल मिलें सबसे अधिक मामले-
2020 में कम से कम 130 अलग-अलग रैनसमवेयर एक्टिव थे और 2021 की पहली छमाही में मालवेयर के 30,000 ग्रुप मिले थे। जो समान रूप से दिखते और संचालित होते थे। इनमें से 100 रैनसमवेयर ऐसे हैं जिनकी एक्टिविटी कभी नहीं रुकती है। हमलावर अपने रैनसमवेयर को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए जाने-माने बॉटनेट मालवेयर और अन्य रिमोट एक्सेस ट्रोजन (RAT) सहित कई तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

ज्यादातर मामलों में ये नए रैनसमवेयर सैंपल का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि गूगल का कहना है कि उसके गूगल क्रोम ओएस क्लाउड-फर्स्ट प्लेटफॉर्म पर किसी भी प्रोफेशन, एजुकेशन या कस्टमर की क्रोम ओएस डिवाइस पर रैनसमवेयर हमले नहीं हुए हैं।

कैसे रखें सावधानी-
अपने डिजिटल डाटा का बैकअप रखें
किसी अनजान मैसेज या ईमेल का जवाब ना दें ना ही किसी लिंक पर क्लिक करें।
निजी जानकारी देने से बचें।
ऑनलाइन निजी डिटेल भरने से बचें।
सोशल मीडिया साइड्स का सभंलकर इस्तेमाल करें।
किसी भी प्रकार के फर्जी मामले की जानकारी तुरंत CERT-IN या साइबर क्राइम को दें।

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