प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप पर IIT प्रोफेसर ने उठाए गंभीर सवाल, विवादों में आया PMRF

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (PMRF) 2018-19 के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। आप इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी करवा सकते हैं। फेलोशिप के आवेदन मांगे जाने पर IIT कानपुर में कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर धीरज सांघी ने सरकार के इस प्रोग्राम पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस फेलोशिप का  यह केंद्रीय तकनीकी संस्थानों के छात्रों के लिए है न कि देश के सभी संस्थानों के बेहतरीन शोधकर्ताओं के लिए। उन्होंने इस फेलोशिप पर पक्षपाती नीति अपनाने का आरोप लगाया है।

पहले जाने की PMRF आखिर चीज क्या है।  दरअसल केंद्र सरकार द्वारा 24 फरवरी को शोध-अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए PMRF योजना शुरू करने की घोषणा की। इसके तहत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (बेंगलुरु) या IIT, NIT, IISER और सेंट्रल IIIT से बीटेक, इंटिग्रेटेड एमटेक या इंटिग्रेटेड एमएससी कर चुके या अंतिम वर्ष के छात्र IIT और IISc के पीएचडी प्रोग्राम में सीधे दाखिला ले सकेंगे।

इसके लिए उन्हें दो शर्तों को पूरा करना होगा। पहली शर्त के तहत छात्रों को बीटेक में 8 CGPA (क्यूमूलेटिव ग्रेड प्वाइंट्स एवरेज) लाना जरूरी होगा। इसके अलावा छात्रों को इंटरव्यू पास करना होगा जहां उनसे भावी शोध के बारे में पूछा जाएगा।

कितने रूपयों का मिलता है लाभ-

एक साल में एक हजार छात्र PMRF का लाभ ले सकेंगे। फेलोशिप हासिल करने वाले छात्रों को पहले दो वर्ष तक 70,000 रुपये प्रति माह मिलेगा। तीसरे साल में 75,000 रुपये और चौथे एवं पांचवें वर्ष में 80,000 रुपये प्रति माह फेलोशिप के तौर पर दिया जाएगा।

‘द टेलीग्राफ’ की खबर के मुताबिक, प्रोफेसर धीरज सांघी ने इस बात की जानकारी अपना ब्लॉग लिखकर दी है। सांघी ने ब्लॉग के जरिये PMRF की आलोचना की है। उन्होंने केंद्रीय सहायता प्राप्त देशभर के सिर्फ 60 तकनीकी संस्थानों के छात्रों को योजना का लाभ देने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने लिखा कि इससे हैदराबाद और दिल्ली स्थित IIIT (राज्य सरकार द्वारा संचालित) के अलावा बिट्स पिलानी और जादवपुर यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों के छात्र वंचित रह जाएंगे।

प्रोफेसर ने आगे दावा करते हुए कहा कि इन संस्थानों में कंप्यूटर सांइस की पढ़ाई कई NIT से बेहतर होती है। उनके मुताबिक, सरकार को यह स्वीकार करना चाहिए कि यह योजना केंद्रीय तकनीकी संस्थानों की मदद करने को लेकर है न कि गुणवत्ता को लेकर। IIT कानपुर के प्रोफेसर का दावा कि इससे ज्वाइंट इंट्रेंस एग्जामिनेशन (JEE) पास करने वाले छात्रों को फायदा मिलेगा।

रिसर्च ग्रांट पर उठाए सवाल-
वह यहीं नहीं रूके उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा कि IIT टीचर्स को रिसर्च के लिए एक साल में सिर्फ एक लाख रुपये ही दिए जाते हैं। इसके अलावा प्रो. सांघी ने जेआरएफ के तहत हर महीने महज 25,000-28,000 रुपये प्रति माह का स्टाइपेंड मिलने का मामला भी उठाया। हालांकि, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के विशेष सचिव ने PMRF का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय तकनीकी संस्थानों में JEE मेन या एडवांस के जरिये छात्रों को दाखिला दिया जाता है। ऐसे में प्रतिभा चयन का यह सबसे बेहतर तरीका है। उन्होंने बताया कि PMRF के लिए अब तक 160 छात्र आवेदन कर चुके हैं।

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