क्या हार्ट अटैक से ज्यादा खतरनाक है कार्डियक अरेस्ट

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लाइफस्टाइल डेस्क: आजकल की अनियमित जीवनशैली, अस्वस्थ खानपान और शारीरिक मेहनत की कमी की वजह से इंसान तमाम तरह की बीमारियों से ग्रस्त हो रहा है। इनमें दिल की बीमारियों को इसलिए ज्यादा खतरनाक माना जाता है क्योंकि ये कई बार इंसान को संभलने तक का मौका नहीं देती हैं।

हाल ही में बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री श्री देवी की मौत की फॉरेंसिक रिपोर्ट नहीं आने तक ये ही कयास लगाए जा रहे थे कि उनकी मौत दिल की बीमारी से हुई है। जिसे मेडिकल की भाषा में कार्डियक अरेस्ट कहते हैं। कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में अंतर है। आपको बताते हैं कि कार्डियक अरेस्ट क्या है? ये हार्ट अटैक से कितना अलग है और इससे बचाव के लिए आप क्या कर सकते हैं।

कितने प्रकार की होती दिल की बीमारिया-

पहले ये जानना जरूरी है कि दिल की बीमारियों के प्रकार कितने तरह के होते हैं। दरअसल, डॉक्टर बताते हैं कि  ज्यादातर लोगों का मानना होता है कि अगर किसी को दिल की बीमारी है तो मतलब वह हार्ट का मरीज है, मगर ऐसा नहीं है। हार्ट अटैक के अलावा एंजायना पेक्टोरिस, मायोकार्डियल इन्फार्क्शन, हार्ट फेल्योर, एरिद्मिया और कार्डियक अरेस्ट आदि भी दिल की ही बीमारियां हैं। ये सभी बीमारियां दिल को अलग-अलग तरह से प्रभावित करती हैं और जरूरी नहीं कि हर बीमारी मरीज की जान ले ले।

क्या है कार्डियक अरेस्ट-
कार्डियक अरेस्ट तब होता है, जब दिल के अंदर वेंट्रीकुलर फाइब्रिलेशन पैदा हो। आसान भाषा में कहें तो इसमें दिल के भीतर विभिन्न हिस्सों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान गड़बड़ हो जाता है, जिसकी वजह से दिल की धड़कन पर बुरा असर पड़ता है। इसके इलाज के लिए कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन  दिया जाता है। इससे हार्ट रेट नियमित किया जाता है। डिफाइब्रिलेटर के जरिए बिजली के झटके दिए जाते हैं। जिससे दिल की धड़कनों को वापस लाने में मदद मिलती है। कार्डियक अरेस्ट होने की सबसे ज्यादा आशंका दिल की बीमारी वालों को सबसे ज्यादा होती है। जिनको पहले हार्ट अटैक आ चुका है उनमें कार्डियक अरेस्ट की आशंका बढ़ जाती है। कई बार दिल की धड़कन दोबारा शुरू हो जाती है और मरीज की जान बचाई जा सकती है। मगर ज्यादातर बार ये संभव नहीं होता है क्योंकि दिल की धड़कन जब तक दोबारा शुरू होती है तब तक मस्तिष्क तक ऑक्सीजन न पहुंचने के कारण उसकी मौत हो चुकी होती है। ऐसे में अगर इंसान के अंग अपना काम शुरू भी कर दें तो बिना मस्तिष्क के उसका शरीर किसी काम का नहीं रह जाता है। इंसान की इसी स्थिति को ब्रेन डेथ कहते हैं।

क्या है हार्ट अटैक-
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर है। हार्ट अटैक होने पर कार्डियक अरेस्ट की संभावना बढ़ जाती है और मरीज की अचानक मौत हो सकती है। हार्ट अटैक वो है जिसमें किसी ब्लॉकेज के कारण दिल को खून नहीं मिल पाता है। जब दिल रक्त नलिकाओं में किसी तरह के अवरोध के कारण हृदय की धमनियों को खून नहीं मिल पाता या पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता तो वो मर जाती हैं। धमनियां चूंकि तीन होती हैं इसलिए दिल के जितने हिस्से को प्रभावित धमनी से खून मिल रहा था, दिल का उतना हिस्सा भी मर जाता है जबकि शेष दो धमनियों में मिलने वाले खून के सहारे दिल का बाकी हिस्सा चलता रहता है। इस कारण अगर कार्डियक अरेस्ट हो गया तो मरीज की मिनटों में मौत संभव है और अगर कार्डियक अरेस्ट नहीं हुआ है तो मरीज को बचाया भी जा सकता है।

इन तरीकों से बचाएं मरीज की जान-
कार्डियक अरेस्ट एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसका कुछ खास स्थितियों में अगर समय से इलाज किया जाए तो मरीज की जान बच सकती है। कार्डियक अरेस्ट में दिल कुछ समय के लिए रुकता है और बाद में इसकी धड़कन शुरू होने की संभावना होती है इसलिए अगर मरीज को अरेस्ट होते ही उसके सीने पर जोर देकर दिल को पंप किया जाए तो संभव है कि मरीज की जान बचाई जा सके। ऐसी स्थिति में मरीज के सीने को 100 से 120 बार तक दबाना चाहिए और 30-30 बार दबाने के बाद मरीज की सांसें जांचते रहना चाहिए।

बचाव के उपाय-
दिल की ज्यादातर बीमारियों से बचा जा सकता है अगर कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो, जिनमें से ये कुछ है-

जीवनशैली में बदलाव-
ऐसे आहार का सेवन कीजिए जिसमें मोनोसैचुरेटेड और पॉलीसैचुरेटेड फैट हो, यह शरीर एलडीएल यानी बुरे कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा को कम कर दिल को स्‍वस्‍थ रखता है। खानपान के अलावा नियमित रूप से व्‍यायाम दिल को स्‍वस्‍थ रखने में मदद करता है। अधिक फास्टफूड, तेल-मसाले और तले-भुने खानों को खाने से बचें।

ब्लड शुगर को न बढ़ने दें-
अगर आप डायबिटीज से पीड़ित हैं तो शुगर को नियंत्रण में रखें। आपका फास्टिंग ब्लड शुगर 100 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए और खाने के दो घंटे बाद उसे 140 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए। व्यायाम, वजन में कमी, भोजन में अधिक रेशा लेकर तथा मीठे भोज्य पदार्थों से बचते हुए डायबिटीज को खतरनाक न बनने दें। समय-समय पर चिकित्सकीय सलाह ले सकते हैं।

वजन पर कंट्रोल रखें-
वजन बढ़ने से दिल की बीमारियों के साथ-साथ अन्य कई बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है इसलिए अगर आपको स्वस्थ रहना है तो अपना वजन हमेशा कंट्रोल में रखें। इसके लिए आपको तेल से परहेज करें और निम्न रेशे वाले अनाजों तथा सलादों के सेवन से वजन को नियंत्रित कर सकते हैं।

ब्लड प्रेशर पर रखें नजर-
ब्लड प्रेशर दिल की परेशानियों की बड़ी वजह में से एक है। अपने ब्लड प्रेशर को 120/80 एमएमएचजी के आसपास रखें। ब्लड प्रेशर विशेष रूप से 130/ 90 से ऊपर आपके ब्लॉकेज (अवरोध) को दुगुनी रफ्तार से बढ़ाएगा। इसको कम करने के लिए खाने में नमक का कम इस्तेमाल करें और जरुरत पड़े तो हल्की दवाएं लेकर भी ब्लड प्रेशर को कम किया जा सकता है। यानी कहने का मतलब ये हैं कि अपने ब्लडप्रेशर पर नजर बनाएं रखें।

खाने में शामिल करें फाइबरयुक्त भोजन-
स्वस्थ हृदय के लिए भोजन में अधिक सलाद, सब्जियों तथा फलों का प्रयोग करें। इसके अलावा ड्राई फ्रूट्स को भी रोज के आहार में शामिल कीजिए। ये आपके भोजन में रेशे और एंटी ऑक्सीडेंट्स के स्रोत हैं और एचडीएल या गुड कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इससे आपकी पाचन क्षमता भी अच्छी बनी रहती है।

बीमारी के लक्षण-
छाती में असहज महसूस होना
नोजिया, हार्टबर्न और पेट में दर्द
हाथ में दर्द होना
कई दिनों तक कफ होना
पसीना आना
पैरों में सूजन
हाथ-कमर और जॉ में दर्द होना
चक्कर आना या सिर घूमना
सांस लेने में दिक्कतें आना

डॉक्टर की सलाह ले-
अगर आपको भी ऊपर बताएं लक्षणों में से किसी तरह की परेशानी है तो आप तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। हम तो ये ही सलाह देंगे कि बीमारियों के बारें में कुछ कहा नहीं जा सकता। इसलिए हर महीने वक्त निकाल कर डॉक्टर से अपनी पूरी जांच जरूर करवा ले।

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