गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से 7वीं मौत, 167 नए केस, 48 ICU और 21 वेंटिलेटर पर, जानें अबतक का पूरा अपडेट

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महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मरीजों के संदिग्ध मरीजों की संख्या 192 पर पहुंच गई है। 167 मरीजों में सिंड्रोम की पुष्टि हुई है। बीमारी से अबतक 7 लोगों की मौत हुई है। वर्तमान में, 48 मरीज ICU में भर्ती हैं, जिनमें से 21 को वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता है। वहीं बात करें, एक्टिव केसों की इसमें 39 मरीज पुणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, 91 पुणे से लगे गांवों से, 29 पिंपरी चिंचवाड़, 25 पुणे ग्रामीण से और 8 अन्य जिलों से हैं।

महाराष्ट्र के अलावा, देश के अन्य राज्यों जैसे तेलंगाना, असम, पश्चिम बंगाल, और राजस्थान में भी GBS के मामले सामने आए हैं। तेलंगाना में एक मामला, असम में एक 17 वर्षीय लड़की की मृत्यु, पश्चिम बंगाल में तीन मौतें, और राजस्थान के जयपुर में एक बच्चे की मृत्यु की सूचना है।

विशेषज्ञों का मानना है कि दूषित पानी के सेवन से यह संक्रमण फैल रहा है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने पुष्टि की है कि नांदेड़ और उसके आसपास के इलाकों में GB सिंड्रोम प्रदूषित पानी के कारण फैला है। पुणे नगर निगम ने नांदेड़ और आसपास के इलाके में 11 निजी आरओ सहित 30 प्लांट को सील कर दिया है।

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क्या है गिलियन-बैरे सिंड्रोम
GBS (गुइलेन-बैरे सिंड्रोम) एक ऑटोइम्यून कंडीशन है। इसमें हमारा इम्यून सिस्टम अपनी ही नर्व्स पर अटैक कर देता है। इससे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हो जाता है। इसके कारण हाथ-पैर अचानक कमजोर पड़ जाते हैं। उठना-बैठना तक मुश्किल हो जाता है।

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हमारे नर्वस सिस्टम के दो भाग होते हैं। पहला है सेंट्रल नर्वस सिस्टम, जिसमें रीढ़ की हड्डी और ब्रेन होता है। दूसरा है, पेरिफेरल नर्वस सिस्टम, जिसमें पूरे शरीर की अन्य सभी नर्व्स होती हैं। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम में इम्यून सिस्टम नर्वस सिस्टम के दूसरे हिस्से यानी पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर ही हमला करता है। यह एक रेयर सिंड्रोम है। हर साल पूरी दुनिया में इसके लगभग एक लाख मामले सामने आते हैं। पुणे में हफ्ते भर के अंदर 20 सस्पेक्टेड केस का मिलना चिंता का विषय हो सकता है।

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गिलियन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome) क्यों होता है?
गुइलेन-बैरी सिंड्रोम का सटीक कारण अभी तक नहीं मालूम है। आमतौर पर इसके लक्षण किसी रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन या डाइजेस्टिव इन्फेक्शन के कुछ दिनों या हफ्तों बाद दिखाई देते हैं। कई बार किसी सर्जरी या वैक्सिनेशन के बाद भी GBS ट्रिगर कर सकता है। इसका मतलब ये है कि किसी रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन को और डायरिया जैसे डाइजेस्टिव इन्फेक्शन को हल्के में न लें।

गिलियन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण आमतौर पर कुछ दिन या हफ्तों में अचानक शुरू होते हैं। इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं

  1. शरीर में कमजोरी: खासतौर पर पैरों में पहले कमजोरी महसूस होती है, जो धीरे-धीरे हाथों और शरीर के अन्य हिस्सों तक फैल सकती है।
  2. सांस लेने में दिक्कत: गंभीर मामलों में रोगी को सांस लेने में परेशानी हो सकती है, जिससे चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है।
  3. शरीर के अंगों में सुन्नपन या झनझनाहट: हाथों, पैरों या शरीर के अन्य हिस्सों में सुन्नपन या झनझनाहट का अहसास हो सकता है।
  4. दर्द: शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द हो सकता है, जो धीरे-धीरे बढ़ सकता है।
  5. तंत्रिका तंत्र की समस्याएं: तंत्रिका तंत्र के कमजोर होने के कारण, मरीज को असामान्य महसूस हो सकता है और शरीर की हरकतों में भी समस्या हो सकती है।

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गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome) के कारण: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के कारण की पहचान पूरी तरह से नहीं हो पाई है, लेकिन कुछ संभावित कारणों के बारे में शोध किया गया है। इनमें शामिल हैं:

  • वायरल इंफेक्शन: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम अक्सर वायरल संक्रमण, जैसे कि फ्लू, जुकाम, या जठरांत्र (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) संक्रमण के बाद होता है।
  • टीकाकरण: कुछ मामलों में यह सिंड्रोम टीकाकरण के बाद भी पाया गया है, हालांकि इसका रिश्ता स्पष्ट नहीं है।
  • बैक्टीरियल संक्रमण: कुछ बैक्टीरियल संक्रमण भी इस सिंड्रोम का कारण बन सकते हैं।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का इलाज: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का इलाज समय पर होना बहुत जरूरी है। इसके उपचार में आमतौर पर निम्नलिखित शामिल होते हैं:

  1. प्लाज्मा एक्सचेंज (Plasma Exchange): यह प्रक्रिया रक्त से एंटीबॉडी को निकालने में मदद करती है जो तंत्रिका तंत्र पर हमला कर रहे होते हैं।
  2. इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी (IVIG Therapy): इस थेरेपी में शरीर को स्वस्थ एंटीबॉडी दी जाती हैं जो इम्यून सिस्टम को दुरुस्त करने में मदद करती हैं। समय पर उपचार से अधिकांश लोग ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ को लंबे समय तक उपचार और फिजिकल थेरेपी की आवश्यकता हो सकती है।

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