जयपुर: सोमवार यानी 2 सितंबर से देशभर में गणेश उत्सव की शुरुआत होगी। इस साल गणेश उत्सव के दौरान एक अमृतसिद्धि, दो सर्वार्थ सिद्धि और छह रवि योग रहेंगे। अमृतसिद्धि योग में किया कार्य सिद्धि देने वाला और सर्वार्थ सिद्धि योग में कार्य का आरंभ सफलता देता है। इसलिए इस साल गणेशोत्सव कई प्रकार से शुभ रहेगा।
गणेश मूर्ति को लेकर धारणा-
बाएं हाथ की ओर सूंड वाली मूर्ति होती है ज्यादा शुभ
माना जाता है कि घर में बाएं हाथ की ओर की सूंड वाली प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। घर के द्वार पर गणेश की मूर्ति लगाना चाहते हैं तो उस मूर्ति की सूंड बाएं हाथ की ओर ही होना चाहिए। ऐसी मूर्ति रखेंगे तो घर में सकारात्मकता बनी रहती है।
सीधी सूंड वाली गणेश मूर्ति भी होती है शुभ
घर में सीधी सुंड वाली गणेश प्रतिमा भी स्थापित की जा सकती है। ऐसी प्रतिमाएं घर के वातावरण को संतुलित बनाए रखती हैं। सुख-समृद्धि बनी रहती है।
इको फ्रेंडली गणेश ऐसे बनाए
गणेश चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद साफ मिट्टी लेकर आएं। इसके बाद पानी डालकर उस मिट्टी को गुंथ लें। गिली मिट्टी से गणेशजी की मूर्ति बनाएं। मूर्ति को सूखने के लिए धूप में रख दें। इसके बाद उस पर सिंदूर लगा सकते हैं। शुद्ध घी और सिंदूर मिलाकर श्रृंगार कर सकते हैं। श्रृंगार करने के बाद जनेऊ पहनाएं।
इसके बाद मूर्ति को घर की उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में स्थापित करें। धूप-दीप जलाएं। दूर्वा, फल-फूल अर्पित करें। लड्डुओं का भोग लगाएं। कर्पूर जलाकर आरती करें। गणेश उत्सव में रोज सुबह-शाम पूजा करें। अनंत चतुर्दशी पर इस मूर्ति का विसर्जन करें।
पूजा के दौरान करें गणेश के 12 नाम के मंत्रों का उच्चारण
गणेशजी को दूर्वा की 11 या 21 गांठ चढ़ाएं और दूर्वा चढ़ाते समय इन मंत्रों का जाप करें। ऊँ गणाधिपतयै नम:, ऊँ उमापुत्राय नम:, ऊँ विघ्ननाशनाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ ईशपुत्राय नम:, ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:, ऊँ एकदन्ताय नम:, ऊँ इभवक्त्राय नम:, ऊँ मूषकवाहनाय नम:, ऊँ कुमारगुरवे नम:
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