दुनिया में हर साल 4.47 करोड़ टन ई-वेस्ट निकलता है, 2025 तक बन जाएगा एक बड़ा द्वीप

0
461

जयपुर: आज के डिजिटल समय में लेपटॉप, मोबाइल, टीवी, रेफ्रिजरेटर, एसी जैसे तमाम इलेक्ट्रॉनिक आइटम हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं लेकिन क्या आपको पता है जब ये आइटम्स खराब हो जाते हैं तो क्या बनते हैं। खराब होने के बाद ये समान इलेक्ट्रॉनिक कचरा (ई-वेस्ट) बनते हैं जिन्हें आप हम अपने घरों से बाहर निकालने के लिए कबाड़ी को बेच देते हैं।

संयुक्त राष्ट्र के ई-वेस्ट कोलिशन के साथ मिलकर तैयार की गई रिपोर्ट के हवाले से वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने कहा है कि दुनिया में हर साल 4.47 करोड़ टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा निकलता है। यह 1.25 लाख विमानों के कुल वजन से भी ज्यादा है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2050 तक दुनियाभर में सालाना ई-वेस्ट 12 करोड़ टन पहुंच जाएगा। जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है। इनमें लेड, पारा, कैडमियम जैसी हानिकारक धातुएं होती हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में 1.46 अरब स्मार्टफोन बेचे गए। 2020 तक 2.87 अरब लोगों के पास स्मार्टफोन होगा। 2020 तक 50 अरब डिवाइस नेटवर्क से जुड़े होंगे। इनमें घरेलू उपकरणों से लेकर सेंसर तक शामिल हैं। ये डिवाइस भी खराब होंगे और ई-वेस्ट का बड़ा द्वीप सामने आ जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक ई-वेस्ट रीसाइकलिंग अभी कई देशों में संगठित उद्योग का रूप नहीं ले पाया है। कम विकसित और विकासशील देशों में रीसाइकलिंग पूरी तरह से रेगुलेटेड भी नहीं है।  ई-वेस्ट का निर्यात अभी अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय देश, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड करते हैं जबकि ई वेस्ट भारत, चीन, ताइवान, अफ्रीकी देश, ब्राजील, अर्जेंटीना सहित कुछ लैटिन अमेरिकी देश में भेजा जाता है। इसलिए नियमों का ठीक से पालन भी नहीं किया जाता है। इस वजह से स्वास्थ्य और पर्यावरण को ज्यादा खतरा है।

ई-वेस्ट 4 लाख करोड़ की इंडस्ट्री 

-अगर ई-वेस्ट रीसाइकलिंग को इंडस्ट्री का रूप दिया जाए तो दुनियाभर में रोजगार के लाखों अवसर भी सामने आ सकते हैं।

-अभी सिर्फ 20% ई-वेस्ट ही रीसाइकिल हो पाते हैं। अगर पूरे ई-वेस्ट को रीसाइकल किया जाए तो 4.4 लाख करोड़ रुपए की इंडस्ट्री खड़ी हो सकती है। यह हर साल होने वाले चांदी उत्पादन से ज्यादा है।

-एक टन मोबाइल में एक टन गोल्ड अयस्क की तुलना में 100 गुना ज्यादा सोना होता है। इसके बावजूद 2016 में 4.35 लाख स्मार्टफोन फेंके गए।

आपको बता दें, ई-वेस्ट एक साइलेंट किलर है। इसके प्रॉपर डिस्पोजल न होने से कैंसर, अस्थमा, हाइपरटेंशन जैसा कई बीमारियां हो सकती हैं।  ई-वेस्ट का साइंटिफिक तरीके से डिस्पोजल होना जरूरी है। इसके अंदर हैवी मेटल होते हैं जैसे मरक्यूरी, फास्फोरस, आर्सेनिक आदि। जब ये एक्सपोज होता है तो नमी, हवा के संपर्क में आता है। इससे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकराक होता है। इसकी रिसाइकलिंग जरूरी है।

ये भी पढ़ें:
सवर्ण आरक्षण पर तत्काल रोक लगाने से SC का इनकार, केंद्र से मांगा जवाब
सलमान खान ने अपने फैन्स को 26 जनवरी का दिया तोहफा, रिलीज किया Bharat का टीजर
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन हुआ बड़ा हादसा, फोटोजर्नलिस्ट समेत 3 लोग घायल
नॉनवेज खाने वाले, वेज खाने वालों की तुलना में ज्यादा हेल्दी, AIIMS डॉक्टर्स हैरान
एक आतंकी जिसे अशोक चक्र से नवाजा जाएगा, जानिए क्यों?
रजाई के साथ शादी करने जा रही यह महिला, छपवाए शादी के कार्ड, देखें Video

ताजा अपडेट के लिए लिए आप हमारे फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल को फॉलो कर सकते हैं