30 करोड़ लोगों के डिप्रेशन में पहुंचते ही हुआ अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान, पढ़ें ये खास रिपोर्ट

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कैलिफोर्निया: दुनियाभर के लोगों की सेहत पर डिप्रेशन यानी अवसाद का काफी असर पड़ रहा है। दुनिया के 30 करोड़ लोग डिप्रेशन से पीड़ित हैं। सेहत के साथ ही अर्थव्यवस्था पर भी डिप्रेशन का असर पड़ रहा है। दिमागी सेहत संतुलित नहीं होने के कारण दुनिया की अर्थव्यवस्था को करीब 67 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। ये नतीजे विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन से निकले हैं। अमेरिका में तो सबसे खराब स्थिति है।

यहां हर 5 में से एक व्यस्क व्यक्ति ने स्वीकार किया कि वो जिंदगी में कभी ना कभी डिप्रेशन का सामना कर चुका है। वहीं पूरे यूरोप में भी 8 करोड़ 30 लाख लोग मानसिक असंतुलन से प्रभावित हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 2005 से 2015 के बीच दुनिया में डिप्रेशन के मरीज करीब 18% सालाना की दर से बढ़े हैं। इसके अलावा चिंता और बेचैनी से भी करीब 26 करोड़ लोग पीड़ित हैं। ये चिंता, बेचैनी ही आगे डिप्रेशन का रूप ले लेती है।

दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, 2017 के मेंटल हेल्थ अमेरिका के अध्ययन में 19 अलग-अलग इंडस्ट्रीज में काम करने वाले 17 हजार लोगों से बात की गई थी। इसमें पता चला कि नौकरी देने वाले की ओर से उन्हें कोई भी सहयोग नहीं मिलता है। इसके साथ ही उन्हें कार्यक्षेत्र पर भारी तनाव और एकाकीपन का भी सामना करना पड़ रहा है। दुनिया के 33% लोग नौकरी से असंतुष्ट हैं। 81% लोग काम और निजी जिंदगी के बीच संतुलन ना बन पाने की वजह से तनाव में हैं। ब्रिटेन में तो 2017 में 3 लाख लोगों की नौकरी दिमागी समस्याओं की वजह से गई।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिप्रेशन से उबारने में मदद कर सकता है
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक प्रकार से व्यक्तित्व और आदतों को भांपकर उसके अनुसार कार्य करता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से कैंसर तक को बहुत पहले ही पकड़ा जा चुका है। बुजुर्गों में इसकी समस्या अधिक रहती है। अमेरिका में वृद्ध मामलों के विभाग के तहत डिफेंस एडवांस रिसर्च द्वारा कोगिटो नामक कंपनी खड़ी की गई है, जो बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य का आंकलन एप के जरिए करती है।

यूजर की दिमागी सेहत को परखता है कम्पैनियन एप 
दिमागी सेहत को मोबाइल की मदद से ही परखने के लिए कम्पैनियन एप मौजूद है, जो यूजर के बर्ताव पर नजर रखता है। फोन पर बात करते वक्त यूजर की आवाज भांपकर बताता है कि उसे कोई मानसिक समस्या है कि नहीं।

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