कितनी तबाही लाएगा साइक्लोन मिचौंग, 1 बजे आंध्र प्रदेश से टकराएगा, जानें तूफान के बारें सबकुछ

चक्रवात एक गोलाकार तूफान (सर्कुलर स्टॉर्म) होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं। जब ये चक्रवात जमीन पर पहुंचते हैं, तो अपने साथ भारी बारिश और तेज हवाएं लेकर आते हैं। ये हवाएं उनके रास्ते में आने वाले पेड़ों, गाड़ियों और कई बार तो घरों को भी तबाह कर सकती हैं।

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Cyclone Michaung News: बंगाल की खाड़ी से 2 दिसंबर को उठा साइक्लोन मिचौंग आज दोपहर 1 बजे के आसपास आंध्र प्रदेश के बापटला के पास नेल्लोर-मछलीपट्‌टनम के बीच टकराएगा। मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, इस दौरान 90 से 110 किलोमीटर प्रति घंटे (KMPH) की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं।

साइक्लोन को लेकर आंध्र प्रदेश में हाई अलर्ट है। राज्य सरकार ने तिरुपति, नेल्लोर, प्रकाशम, बापटला, कृष्णा, पश्चिम गोदावरी, कोनसीमा और काकीनाड़ा जिले में रेड अलर्ट जारी किया है। इन 8 जिलों में NDRF और SDRF की 5-5 टीमें तैनात हैं। इसके अलावा कोस्ट गार्ड, आर्मी और नेवी के जहाज और एयरक्राफ्ट को स्टैंडबाय पर रखा गया है।

तमिलनाडु में मंगलवार को बारिश में कमी आई। रविवार-सोमवार को तूफान ने चेन्नई में काफी तबाही मचाई। अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है। 16 घंटे से बंद चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर फ्लाइट ऑपरेशन शुरू हो गया है। 4 नवंबर को रनवे पर पानी भरने की वजह से करीब 70 फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ी थीं। 30 फ्लाइट्स बेंगलुरु डायवर्ट किए गए थे।

कितनी तबाही लाएगा मिचौंग
5- 6 दिसंबर को ओडिशा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पुडुचेरी के कई जिले चक्रवात की चपेट में आए हैं। यहां 5 और 6 दिसंबर को हैवी रेनफॉल हो सकता है। 5 दिसंबर को ये चक्रवात आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से टकराने के बाद दूसरे राज्यों जैसे ओडिशा और पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ेगा। जिस समय ये चक्रवात भारतीय राज्यों के तट से टकराएगा, उस समय से 110 किलोमीटर की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। शाम 6 बजे तक इस चक्रवात की रफ्तार घटकर 50 किलोमीटर प्रति घंटा रह सकती है।

चक्रवात क्या होते हैं ?
साइक्लोन शब्द ग्रीक भाषा के साइक्लोस (Cyclos) से लिया गया है, जिसका अर्थ है सांप की कुंडलियां। इसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में ट्रॉपिकल साइक्लोन समुद्र में कुंडली मारे सांपों की तरह दिखाई देते हैं। चक्रवात एक गोलाकार तूफान (सर्कुलर स्टॉर्म) होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं। जब ये चक्रवात जमीन पर पहुंचते हैं, तो अपने साथ भारी बारिश और तेज हवाएं लेकर आते हैं। ये हवाएं उनके रास्ते में आने वाले पेड़ों, गाड़ियों और कई बार तो घरों को भी तबाह कर सकती हैं।

चक्रवात कैसे बनते हैं?
चक्रवात समुद्र के गर्म पानी के ऊपर बनते हैं। समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम होने की वजह से ऊपर उठती है। इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर यानी वायु दाब कम हो जाता है।

इस खाली जगह को भरने के लिए आसपास की ठंडी हवा वहां पहुंचती है। इसके बाद ये नई हवा भी गर्म और नम होकर ऊपर उठती है। इसका एक साइकिल शुरू हो जाता है, जिससे बादल बनने लगते हैं। पानी के भाप में बदलने से और भी बादल बनने लगते हैं। इससे एक स्टॉर्म साइकिल या तूफान चक्र बन जाता है, जो धरती के घूमने के साथ ही घूमते रहते हैं।

स्टॉर्म सिस्टम के तेजी से घूमने की वजह से उसके सेंटर में एक आई बनता है। तूफान के आई को उसका सबसे शांत इलाका माना जाता है, जहां एयर प्रेशर सबसे कम होता है। ये स्टॉर्म सिस्टम हवा की स्पीड 62 किमी/घंटे होने तक ट्रॉपिकल स्टॉर्म कहलाते हैं। हवा की रफ्तार 120 किमी/घंटे पहुंचने पर ये स्टॉर्म साइक्लोन बन जाते हैं।

साइक्लोन आमतौर पर ठंडे इलाकों में नहीं बनते हैं, क्योंकि इन्हें बनने के लिए गर्म समुद्री पानी की जरूरत होती है। लगभग हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपास होना जरूरी होता है। इसीलिए साइक्लोन को ट्रॉपिकल साइक्लोन भी कहा जाता है। ट्रॉपिकल इलाके आमतौर पर गर्म होते हैं, जहां साल भर औसत तापमान 18 डिग्री से कम नहीं रहता।


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