ऑनलाइन बैंकिंग का चलन बीते पांच सालों में तेजी से बढ़ा है। नोटबंदी के बाद डिजिटल ट्रांजैक्शन में और गति आई है, लेकिन डिजिटल बैंकिंग बढ़ने से डिजिटल फ्रॉड भी तेजी से बढ़े हैं. आइए आपको बताते हैं कि बैंकों ने अपने कस्टमर को डिजिटल बैंक फ्रॉड पर किस तरह की राहत दी है।
ऑनलाइन धोखाधड़ी होने पर अब आप अपने नुकसान से बच सकते हैं। दरअसल बैंकों ने ऑनलाइन ग्राहकों को और ताकत दी है। डिजिटल बैंक फ्रॉड पर ग्राहकों को बड़ी राहत मिली है। अब आपको अपने साथ हुए किसी डिजिटल फ्रॉड के बारे में 3 दिन के भीतर बैंक को बताना होगा।
बैंक फ्रॉड की रकम की भरपाई करेंगे। अगर 4 से 7 दिन में जानकारी दी तो पूरी भरपाई नहीं होगी। बैंक सिर्फ 25,000 रुपये तक की भरपाई करेंगे। 7 दिन के बाद जानकारी देने पर भरपाई बैंक पर निर्भर करेगी।
जानकारों का कहना है कि साइबर फ्रॉड से बचने के लिए ऑनलाइन भुगतान करते वक्त वेबसाइट पर पीसीआई-डीएसएस का सर्टिफिकेट देखें। सिस्टम, मोबाइल में एंटी वायरस, स्पैम फिल्टर, एंटी स्पायवेयर लगाएं। अपने अकाउंट बैलेंस को नियमित रूप से देखते रहें।
बैंकों से कैश लेन-देन अब महंगा हो गया है। एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक ने कैश ट्रांजैक्शन पर शुल्क लगाना शुरू कर दिया है। एक महीने में चार मुफ्त लेन-देन के बाद हर बार 150 रुपये न्यूनतम शुल्क लिया जाएगा। यह नियम एक मार्च से सेविंग और सैलरी अकाउंट पर लागू कर दिया गया है।
बता दें डिजिटल लेनदेन को और सुरक्षित बनाने के लिए आरबीआई डैबिट-क्रैडिट कार्ड से खरीद पर वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) जरूरी करने जा रहा है। आर.बी.आई. एक तय राशि (एक या दो हजार) से ज्यादा के लेनदेन पर ओटीपी अनिवार्य करेगा। यह सुविधा सभी बैंकों को अपने ग्राहकों को देनी होगी। फिर चाहे बैंक उपभोक्ता के पास कोई भी कार्ड हो।
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