छेड़छाड़ करने वालों को अब राजस्थान में सरकारी नौकरी नहीं, जानें कैसे होगी कार्रवाई

सबसे बड़ा सवाल यह है कि ऐसे युवाओं को सरकार नौकरी पाने से रोकेगी कैसे? सरकार का कहना है कि इसके लिए अब छेडछाड करने वालों की रपट पुलिस लिखेगी। यह रपट परीक्षा मण्डलों को भी भेजी जाएगी।

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Rajasthan News:  राजस्थान में लड़कियों से छेड़छाड, दुष्कर्म और दुष्कर्म का प्रयास करने वालों को अब सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। ऐसा करने वालों के चरित्र प्रमाण पर लिखा जाएगा कि ये छेड़छाड़ में शामिल रहा है। इसकी जानकारी खुद सीएम गहलोत ने ट्विटर के जरिए दी है।

ट्ववीट में अशोक गहलोत ने लिखा- राज्य सरकार ने फैसला किया है कि बालिकाओं एवं महिलाओं से छेड़छाड़, दुष्कर्म के प्रयास एवं दुष्कर्म के आरोपियों एवं मनचलों को सरकारी नौकरियों से प्रतिबंधित किया जाएगा। इसके लिए मनचलों का भी पुलिस थानों में हिस्ट्रीशीटरों की तरह रिकॉर्ड रखा जाएगा एवं राज्य सरकार/ पुलिस द्वारा जारी किए जाने वाले इनके चरित्र प्रमाण पत्र पर यह अंकित किया जाएगा। ऐसे असमाजिक तत्वों का सामाजिक बहिष्कार करना आवश्यक है।

मुख्यमंत्री अगर इस फ़ैसले पर अडिग रहते हैं तो देशभर के लिए यह एक मिशाल साबित हो सकता है। महिला सुरक्षा मामले में भी यह निर्णय सटीक साबित होगा।

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योजना जितनी अच्छी अमल करना उतना ही कठिन
सबसे बड़ा सवाल यह है कि ऐसे युवाओं को सरकार नौकरी पाने से रोकेगी कैसे? सरकार का कहना है कि इसके लिए अब छेडछाड करने वालों की रपट पुलिस लिखेगी। यह रपट परीक्षा मण्डलों को भी भेजी जाएगी। परीक्षार्थियों से केरेक्टर सर्टिफिकेट माँगा जाएगा। अगर कोई युवा छेडछाड में लिप्त रहा होगा तो इस सर्टिफिकेट में इसका हवाला रहेगा। ऐसे में इस तरह की गतिविधियों में लिप्त युवा परीक्षा नहीं दे पाएँगे। योजना बहुत अच्छी है लेकिन इसे अमल में लाना बड़ा कठिन प्रतीत होता है।

चुनावी साल में गहलोत के सामने बड़ी चुनौति-
राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। दुष्कर्म के मामले में प्रदेश देश में नंबर एक पर है। बीते पांच-छह महीने में महिला अपराध के कई गंभीर मामले सामने आए जिससे गहलोत सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर रही। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र गुढ़ा ने भी महिला अपराध को लेकर अपनी ही सरकार को घेर लिया, जिसके बाद उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया। इससे सरकार की छवि को नुकसान होने की बात कही गई थी। चुनावी साल में इस तरह का फैसला लेकर गहलोत सरकार महिला अपराधों के खिलाफ सख्त छवि बनाने की कोशिश कर रही है।

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