विश्व डेस्क: हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) और पैरासीटामॉल इन दो दवाओं को लेकर अमेरिका और भारत में तनाव की स्थिति पैदा हो चुकी है। हालांकि भारत ने ये साफ कर दिया है कि हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासीटामॉल की निर्यात भारत उन्ही देशों में करेंगा जहां इन दवाओं की सबसे ज्यादा जरूरत है। लेकिन भारत सबसे पहले अपनी जरूरत का खयाल रखेंगा।
हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल मलेरिया के अलावा आर्थराइटिस में भी होता है, जबकि पैरासीटामॉल का इस्तेमाल बुखार और दर्द के इलाज में किया जाता है लेकिन हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना संक्रमण के इलाज में भी काफी कारगर माना जा रहा है। इसके साथ ही, भारत ने अब कुल 14 दवाओं के निर्यात को मंजूरी दी गई है।
क्या है मामला?
इस रविवार को कोरोना वायरस की स्थिति पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बातचीत हुई थी। इस बातचीत के दौरान ट्रंप ने क्लोरोक्वीन जैसी जरूरी दवाओं के निर्यात पर रोक का मसला उठाया और पीएम मोदी से यह अनुरोध किया कि वह इस दवा की आपूर्ति अमेरिका में करने की इजाजत दें। ट्रंप ने आगे कहा, वह दवाओं के आने की इजाजत नहीं देते तो भी कोई बात नहीं, लेकिन निश्चित रूप से इसके बदले में हम भी कुछ कर सकते हैं। क्या हमें ऐसा नहीं करना चाहिए?’ ट्रंप के इस बयान को धमकी की तरह देखा गया और भारत में विपक्षी दलों ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान की आलोचना की है। वहीं इंटरनेट पर ट्रंप के मीम्स ट्रेंड कर रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव की ओर से बयान जारी किया गया। विदेश मंत्रालय ने कहा है, ‘हमारी प्राथमिकता ये है कि जरूरत की दवाइयों का देश में भरपूर स्टॉक हो, ताकि अपने लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसी के चलते कई दवाइयों पर कुछ समय के लिए निर्यात पर रोक लगाई थी, लेकिन लगातार नए हालात को देखते हुए सरकार ने कुछ दवाओं पर लगी निर्यात की रोक हटा दी है’।
क्यों जरूरी है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन?
आपको बता दें कि एक रिसर्च में सामने आया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाई कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार है। और ये दवाई दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में ही बनाई जाती है, लेकिन भारत में बढ़ते कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी। नासा के वैज्ञानिकों ने भी मलेरिया निरोधक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन को कोरोना से लड़ने में कारगर बताया था। चीन के बाद कोरोना का अमेरिका सबसे बड़ा शिकार हुआ है। अमेरिका में साढ़े तीन लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस की चपेट में हैं, जबकि 10 हजार से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हालात इतने खराब हैं कि अमेरिका में वेंटिलेटर्स और अस्पतालों में बेड की कमी है।
क्या डोनाल्ड ट्रंप का हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन में निजी फायदा?
अमेरिका के अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स की वेबसाइट पर इस बात का खुलासा किया गया है कि डोनाल्ड ट्रंप आखिर क्यों मलेरिया की इस दवा के पीछे पड़े हैं। मीडिया संस्थान ने बताया है कि डोनाल्ड ट्रंप का इसमें निजी फायदा है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार अगर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को दुनियाभर में कोरोना के इलाज के लिए अनुमति मिलती है तो उससे ये दवा बनाने वाली कंपनियों को बहुत फायदा होगा। ऐसी ही एक कंपनी में डोनाल्ड ट्रंप का शेयर है। साथ ही उस कंपनी के बड़े अधिकारियों के साथ डोनाल्ड ट्रंप के गहरे रिश्ते हैं। वेबसाइट पर लिखा है कि डोनाल्ड ट्रंप का फ्रांस की दवा कंपनी सैनोफी को लेकर व्यक्तिगत फायदा है। कंपनी में ट्रंप का शेयर भी है. ये कंपनी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को प्लाकेनिल ब्रांड के नाम से बाजार में बेचती है। (न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)