उत्तर प्रदेश : इन महिलाओं ने किया महामारी से निपटने का उपाय, आप ऐसा मत कीजियेगा !

कोरोना के बढ़ते मामलों से बढ़ा अन्धविश्वास और कर रहे है कोरोना माई की पूजा

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कुशीनगर: भारत अब दुनिया भर में कोरोना मरीज़ो की संख्या के अनुसार छठवें नंबर पर आ गया हैं और अब यह संक्रमण ग्रामीण क्षेत्रों में भी नज़र आने लग गया हैं, इस संकट ( Corona ) के मध्य उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से खबर आ रही है कि यहाँ की महिलाएं कोरोना से निजात पाने के लिए खेतों में खड़ी होकर “कोरोना माई” की पूजा कर रही हैं।

कुशीनगर जिला उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के पिछड़े इलाकों में आता है, जहां अशिक्षा और गरीबी दोनों ने अपनी जड़ें बहुत गहरी जमा रखी हैं। आप जानते ही है कि अशिक्षित लोग अक्सर अंधविश्वास के चक्कर मे पड़ जाते हैं और यहाँ का यह मामला भी इसी तरह का है जो इस महामारी को देवी का क्रोध बता कर पूजा से इसका समाधान करने की अतार्किक बात कर रहे हैं। सरकार कोरोना महामारी के प्रति लोगो को जागरूक करने का दावा करती है पर जिम्मेदार लोगों की जागरूकता सिर्फ सरकारी कागजों में ही दिखाई दे रही है।

बढ़ते मामलों के साथ बढ़ा अंधविश्वास –
यह महामारी चीन से शुरू होकर आज विश्व भर में तबाही मचा रही है और बहुत से देशों की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं के हाल बेहाल कर चुकी हैं। कुशीनगर जिला अभी तक काफी हद तक कोरोना संकट से बचा हुआ था, लेकिन पिछले एक हफ्ते में संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने से जिले में हड़कंप मचा हुआ हैं और जनपद में कोरोना के मरीजों की संख्या ४३ तक पहुंची है और दो लोग अपनी जान भी गवा चुके हैं। जैसे- जैसे यह कोरोना महामारी जिले में अपना पैर पसार रही हों लोगो का डर अंधविश्वास को जन्म दे रहा है, जिसका नतीजा आपके सामने यह चौकाने वाली खबर हैं।

महिलाएं कर रहीं कोरोना माई की पूजा –
कुशीनगर जिला मुख्यालय से सटे पडरौना शहर में शुक्रवार/शनिवार की सुबह लगभग 4 बजे से ही महिलाएं खाली खेतों के साथ जूनियर हाईस्कूल और डिग्री कॉलेज के खेल मैदान में इकट्ठा होने लगी, उन्हें पूछने पर पता लगा कि यह कोरोना महामारी से बचने के लिए ‘कोरोना माई’ की पूजा करने के लिए इकट्ठा हो रही हैं।

इस पूजा के लिए जमीन में छोटा सा गड्ढा खोदने के बाद उसमें पानी डालकर महिलाओं ने उसे ‘कोरोना माई’ का नाम दे दिया। महिलाएं नहा-धोकर नौ लड्डु, नव गुड़हल का फूल, नौ लौंग, अगरबत्तियां, कपूर और लोटे में जल लेकर अन्धविश्वास के तहत घर से बाहर कोरोना बीमारी को ‘कोरोना माई’ का नाम देकर पूजा करने पहुंच गईं।

‘बीमारी नहीं देवी का क्रोध’ –
पूजा करने पहुंची इन महिलाओं का मानना है कि कोरोना कोई बीमारी नहीं है यह तो देवी के क्रोध का कहर है और इस तरह से पूजा करने पर ‘कोरोना माई’ प्रसन्न होकर अपना क्रोध शांत कर लेंगी और यह महामारी खत्म हो जाएगी।

वैसे तो ये दावा विज्ञान के अभी तक के सभी प्रयास और दावों को नकार रहा है पर इन महिलाओं से बात करने और इनके अंधविश्वास के प्रति के विश्वास देखने लायक थे। सोचने वाली बात है कि ऐसे में अगर यू अंधविश्वास का धुआं उड़ेगा, तो स्वभाविक है लोगों की भीड़ बढ़ने के साथ पूजा-अर्चना और कुछ लोगों का कारोबार चल पड़ेगा। दो महिलाओं की आपस में बातचीत से यह अफवाह पुरे क्षेत्र में फ़ैल गयी और उसका नतीजा खेतों में पूजा के लिए आयी यह महिलाएं थी।

गाय में दिखी देवी और पूजा की विधि बताई –
इस बात की तथाकथित कहानी महिलाओं ने बताई कि खेतो में काम करते दो गाय आ गईं। जब गाय को देखकर महिलाएं भागने लगीं तो गायों ने देवी का रूप ले लिया और कहा कि “डरो मत हम ‘कोरोना माई’ हैं। हमारी पूजा करो हम तुम लोगों को इस महामारी से बचाएंगे।” महिलाओं ने कहा कि कोरोना माई ने पूजा की विधि भी बताई है अब विश्वास के आधार पर हम लोग पूजा कर रहे हैं। लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि इस तरफ की अफवाहों को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाएं।

Note : – पञ्चदूत अन्धविश्वास को बढ़ाने के लिए किस तरह की पूजा आदि का पक्ष नहीं लेता और अपने पाठकों को इस सम्बन्ध में सिर्फ सरकार के दिशा निर्देश और डॉक्टर की सलाह मानने के लिए निवेदन करता हैं।

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