चीन के 40 अरब डॉलर बने मसूद अजहर की संजीवनी बूटी, जानिए क्या है पैसों का खेल

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इंटरनेशनल डेस्क: चीन ने एक बार फिर से जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचा लिया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रेजॉल्यूशन 1267 के तहत मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव लाया गया था लेकिन चीन के वीटो एकबार फिर इस्तेमाल किया और मसूद को बचा लिया। वहीं चीन के इस बर्ताव के बाद US ने कहा, सभी देशों को इस चीज को कोई तोड़ ढूढ़ना पड़ेगा। बता दें पिछले 10 सालों में चीन 4 बार ऐसा कर चुका है।

आपके मन में ये सवाल जरूर होगा कि आखिर चीन हर बार मसूद अजहर या पाकिस्तान के साथ खड़ा क्यों रहता है जबकि वह खुद आतंकवाद के खिलाफ है। दरअसल, इसके पीछे चीन का अपना खुद का डर है। दरअसल, चीन  पाकिस्तान का बचाव करने से ज्यादा अपने आर्थिक हितों को साधने में लगा हुआ है। मसूद को बचाने के पीछे चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) चीन की महत्वाकांक्षी योजना है। जोकि बेल्ट ऐंड रोड (BRI) का अहम हिस्सा है। ये प्रोजेक्ट इसलिए हम क्योंकि BRI के तहत चीन सड़क, रेल और समुद्रीय मार्ग से एशिया, यूरोप और अफ्रीका में अपनी पहुंच बनाएगा।

चीन को डर है कि जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ किसी भी फैसले से उसका बेहद महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) प्रभावित हो सकता है। चीन का CPEC प्रोजेक्ट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है जो जैश-ए-मोहम्मद का निशाना बन सकता है।

सीपीईसी ना केवल पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) और गिलिगिट-बालटिस्तान से होकर गुजरता है बल्कि खैबर पख्तूनख्वा के मनसेरा जिले में भी फैला है। खैबर पख्तूनख्वा में ही बालाकोट स्थित है जहां पर कई आतंकी कैंप स्थित हैं।

चीन ने हाल ही में बालाकोट के नजदीक सीपीईसी के लिए बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण किया था। इसके अलावा, पाकिस्तान को चीन से जोड़ने वाला कराकोरम हाईवे भी मनसेरा से ही होकर गुजरता है। चीन के उप-विदेश मंत्री कॉन्ग शुआन्यू ने 5 से 6 मार्च तक पाकिस्तान के दौरे पर थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कॉन्ग ने इस दौरे में सीपीईसी की सुरक्षा को लेकर बातचीत की। सीपीईसी से जुड़ी परियोजनाओं में करीब 10,000 चीनी नागरिक काम कर रहे हैं जिनकी सुरक्षा भी दांव पर लगी हुई है। चीन ने सीपीईसी के करीब 45 परियोजनाओं में करीब 40 अरब डॉलर का निवेश किया है जिसमें से आधे प्रोजेक्ट पूरे होने को हैं। चीन किसी भी सूरत में अपने भारी-भरकम आर्थिक और समय के निवेश की सुरक्षा चाहता है। पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्तों की वजह से जैश जैसे आतंकी संगठनों से सीपीईसी परियोजना और उसमें काम कर रहे हजारों चीनी नागरिकों को सुरक्षा मिल जाती है।

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