बीजिंग: चीन ने कारोबारी क्षेत्र में विकास करते हुए नियमों की अनदेखी की है। औद्योगिक क्रांति के आड़ में वहां उद्योगों द्वारा कोयले का जमकर प्रयोग हुआ। अब प्रदूषण जैसे बढ़ते खतरे को देखते हुए चीन इससे निपटने की कोशिश में जुट गया है। खबरों के मुताबिक, चीन एशिया का पहला वर्टिकल फॉरेस्ट (ऊर्ध्वाधर वन) का निर्माण किया जा रहा है। माना जा रहा है कि चीन के नानजिंग में बन रहे ट्री टॉवर प्रतिदिन 60 किलो ऑक्सीजन का उत्पादन करेंगे।
इस प्रोजेक्ट के तहत 656 फिट और 354 फुट के दो टॉवर बनाए जाएंगे। जिसमें करीब 3000 पेड़-पौधे होंगे। इनमें 1000 पेड़ और 2500 अलग-अलग प्रजातियों की झाड़ियां होंगी। इस टॉवर को इटेलियन आर्किटेक्ट स्टेफानो बोईरी द्वारा डिजाइन किया जा रहा है। बड़े वाले टावर में घर-ऑफिस, एक म्यूजियम, टैरेस क्लब और ग्रीन आर्किटेक्चर स्कूल होगा। वहीं, छोटे टावर में रूफटॉप पूल वाले घर और 247 कमरों वाला हयात होटल होगा।
यह टावर्स 2018 तक बनकर तैयार हो जाएंगे। जैव विविधता को समृद्ध बनाने के लिए एक महान बेंचमार्क स्थापित करेगा। डिजाइनर स्टेफानो इस तरह के दो टावर इटली के मिलान शहर में पहले ही बना चुके हैं जिसे Bosco Verticale के नाम से जाना जाता है और जल्द ही ऐसा एक और कुछ निर्माण लुसाने, स्विटजरलैंड में भी खुलने वाले हैं।
गौरतलब है कि चीन के बीजिंग शहर की तरह की भारत के दिल्ली शहर का भी हाल है। प्रदूषण में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी को देखते हुए दिल्ली में ईवन और ऑड फॉर्मूले लाया गया था। पिछले साल दिवाली पर प्रदूषण और धुंध ने दिल्ली समेत पूरे एनसीआर को अपनी चपेट में ले लिया था। जिसके कारण लोगों को सांस लेने तक में तकलीफ होने लगी थी। हालत सामान्य होने हफ्ते भर से ज्यादा का समय लगा था।