घरेलू हिंसा के बाद, लॉकडाउन में बढ़े बच्‍चों से दरिंदगी के मामले

लॉकडाउन में इन बच्‍चों की समस्‍या बढ़ गई क्‍योंकि वे घरों से निकल ही नहीं सकते। आइसोलेशन की वजह से सपोर्ट नेटवर्क्‍स ढह गए हैं। जिसके चलते विक्टिम्‍स के भाग पाना या मदद मांग पाना मुश्किल हो रहा है।

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नई दिल्ली: कोरोना वायरस के लिए किया गया लॉकडाउन घरों में रिश्तों को समय की कसौटी पर कस रहा है। जैसे-जैसे लॉकडाउन बीत रहा है वैसे-वैसे घरेलू हिंसा में वृद्धि हो रही है। इसी बीच अब एक नई खबर चाइल्‍ड एब्‍यूज को लेकर सामने आयी है।

आरजू अनेजा और सुमीर सोढ़ी नाम के दो वकीलों ने CJI से मामले का संज्ञान लेने की गुहार लगाई है। उन्‍होंने कहा है कि लॉकडाउन में ओवरऑल क्राइम रेट तो कम हुआ है मगर बच्‍चों से बदसलूकी और हिंसा के मामले बढ़ गए हैं। वकीलों ने अपने लेटर में कहा है, “नॉर्मल हालात में सताए गए बच्‍चों का घर में रहना सेफ नहीं समझा जाता क्‍योंकि हो सकता है कि घरवाले और परेशान करें।

लॉकडाउन में इन बच्‍चों की समस्‍या बढ़ गई क्‍योंकि वे घरों से निकल ही नहीं सकते। आइसोलेशन की वजह से सपोर्ट नेटवर्क्‍स ढह गए हैं। जिसके चलते विक्टिम्‍स के भाग पाना या मदद मांग पाना मुश्किल हो रहा है।” उन्‍होंने कहा कि अगर चाइल्‍ड एब्‍यूज के विक्टिम्‍स का साथ देने और उन्‍हें सेफ रखने के लिए जल्‍द कदम नहीं उठाए गए तो लॉकडाउन में मामले बढ़ते रहेंगे।

अपनी लेटर पिटीशन में दोनों वकीलों ने अदालत से इस बारे में जल्‍द गाइडलाइंस बनाने की मांग की है। उनकी डिमांड है कि बच्‍चों को काउंसलिंग मुहैया कराई जाए। चाइल्‍ड वेलफेयर के लिए काम करने वाले NGOs/संस्‍थाओं को मोबलाइज करने की जरूरत है।

वकीलों ने अपनी याचिका में मीडिया में छपे आर्टिकल्‍स को आधार बनाया। इसके अलावा उन्‍होंने कहा कि चाइल्ड लाइन हेल्‍पलाइन को लॉकडाउन के दौरान पिछले कुछ दिनों में 92 हजार से ज्‍यादा कॉल्‍स आई हैं। 24 मार्च 2020 के बाद से कॉल्‍स की संख्‍या में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

आपको बता दें, लॉकडाउन के दूसरे सप्ताह में घरेलू हिंसा की शिकायतों में दोगुने तक का इजाफा हो गया। दो अप्रैल से नौ अप्रैल के बीच घरेलू हिंसा की शिकायत से जुड़ी छह हजार कॉलें आईं। इस दौरान प्रतिदिन आने वाली कॉल का औसत करीब 750 रहा, जो औसत दिनों में आने वाली कॉल्स से सिर्फ 71 शिकायत ही कम है।

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