भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान और ऑर्बिटर के बीच के मशीने रिश्ते को समझाने के लिए एक बेहद खास तरीका निकाला है। ताकि लोग समझ सकें कि आखिर ये तीनों चीज क्या है? भारत आज रात डेढ़ बजे इतिहास रचने की तैयारी में है जिसपर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है।
मिशन मून से जुड़ी कई रोचक बाते आज सोशल मीडिया पर चर्चा में बनी हुई हैं। कहा जा रहा है कि चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) के लिए इसरो ने रूस और नासा से मदद मांगी थी लेकिन दोनों ने मदद के बदले भारत से दुगना पैसा मांगा था जोकि इसरो (भारत) नहीं दे सकता था। जिसके बाद इसरो वैज्ञानिकों ने मिलकर भारत के अलग-अलग जगह से चांद जैसी मिट्टी मंगवाई और मिशन का परीक्षण शुरू किया।
आज गर्व से कहना होगा..जब-जब भारत को हल्के में लिया गया तब-तब भारत ने इतिहास रचा है और आज भी ऐसा ही कुछ होने जा रहा है। भारत का चंद्रयान-1 द्वारा साल 2008 में चांद पर पानी होने के सकेंत मिले थे और चंद्रयान-2 की साउथ पोल में सॉफ्ट लैंडिंग करवाकर भारत विश्व में पहला देश बन जाएगा जो चांद के इस हिस्से में कदम रखने वाला होगा।
चलिए आपको बताते हैं चंद्रयान-2 में इस्तेमाल होने वाले ऑर्बिटर, विक्रम और प्रज्ञान क्या है और इसरो ने इनके बीच क्या संवाद साझा किया जो चर्चा में बना हुआ है।
ऑर्बिटर: विक्रम, दो सितंबर की दोपहर को तुझसे अलग होने तक की यात्रा में बहुत मजा आया। अब तक की यात्रा शानदार रही।
विक्रम: बेहद शानदार सफर था। मैं तुम्हें चांद की कक्षा में देखता रहूंगा।
ऑर्बिटर: गुडलक विक्रम! अब तुम चांद की दक्षिणी सतह पर उतरोगे और उन रहस्यों से पर्दा उठाओगे, जिन्हें अब तक कोई नहीं जान सका है।
इसरो: (चर्चा के बीच आया) आप, दोनों को शुभकामनाएं। विक्रम व प्रज्ञान आप दोनों संपर्क में रहोगे।
विक्रम: यार प्रज्ञान, हम चांद पर ऐसी जगह आए हैं जहां पहले कोई देश नहीं गया। इस यात्रा पर कितना खर्च आया?
प्रज्ञान: इसरो ने 978 करोड़ रपए खर्च किए, लेकिन यह मिशन हॉलीवुड की चर्चित फिल्म से भी कम है।
विक्रम: यार, तुम्हें तो बहुत जानकारी है, अब चांद के बारे में बताओ।
प्रज्ञान: चांद का पृथ्वी का उपग्रह है। उसका वातावरण व गुरत्वाकषर्षण धरती जैसा नहीं है। वहां चल रही धूल भरी आंधी से तुम्हें यह फर्क पता चल जाएगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि एक दिन चांद पर भी इंसान रहेंगे।
विक्रम: हम चांद पर जा क्यों रहे हैं?
प्रज्ञान: इस खूबसूरत उपग्रह की उत्पत्ति और परिस्थति के बारे में जानने आए हैं। यहां के प्राकृतिक तत्व, तापमान, वातावरण और रसायनों के बारे में अध्ययन करेंगे। दोस्त ऑर्बिटर भी हमें सहायता करेगा।
We have the same wishes for Vikram, Orbiter.
Want to stay in touch with Vikram and Pragyan as they make their way to the untouched lunar South Pole and uncover its many mysteries? Then keep an eye out for the next edition of #CY2Chronicles! pic.twitter.com/2iA8W2lxtR— ISRO (@isro) September 6, 2019
विक्रम: ऑर्बिटर, वह कौन है?
प्रज्ञान: वह भी हमारे साथ इसरो के इस मिशन पर है। हम उसी के साथ चंद्रयान-2 में यहां तक आए हैं। हम यहां चांद पर उतरकर स्टडी करेंगे और वह चांद की कक्षा में घूमेगा। वह वहां नहीं उतरेगा।
विक्रम: अच्छा, तो ऑर्बिटर क्या करेगा?
प्रज्ञान : वह चांद की सतह की मैपिंग करेगा। हम भी जानकारी उसे ही भेजेंगे। वह यहां ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के अणुओं को ढूंढ़ेगा।
विक्रम: मैंने सुना है कि मैं चांद पर एक ही जगह रहूंगा?
प्रज्ञान: हां, ऑर्बिटर का काम चांद के चक्कर लगाना है। तुम एक ही जगह रहोगे, मैं चांद की सतह पर सैर करूंगा। सैर करते हुए मैं जो कुछ देखूंगा, रिकॉर्ड करूंगा वो सब संदेश मैं सीधे पृथ्वी पर भेजने की जगह तुम्हें भेजूंगा। तुम्हारा मुख्य काम वैज्ञानिकों, ऑर्बिटर और मेरे बीच मैसेज लाने-ले जाने का होगा। वैसे यार मैं भी यहां ज्यादा दूर तक नहीं जा सकता। मेरी रेंज सिर्फ आधे किलोमीटर की है और गति सिर्फ एक सेंटीमीटर प्रति सेकेंड।
विक्रम: बड़ा परिश्रम करना पड़ेगा यार। हम काम पूरा कर धरती पर कब लौटेंगे।
प्रज्ञान: हम कभी नहीं लौटेंगे यार। यही हमारी आखिरी मंजिल है। जब पृथ्वी से कोई चांद पर आएगा तो उसे हम यहीं मिल सकते हैं।
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