वित्तमंत्री को लगता है कि हम लोगों का अस्तित्व ही नहीं है: महेश भट्ट

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मुम्बई: वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 2017-2018 के बजट में फिल्म इंडस्ट्री के लिए कोई विशेष सहूलियत नहीं दी है। इस वजह से फिल्म जगत से जुड़े लोगों में खासी निराशा है। फिल्म निर्माता-निर्देशक मुकेश भट्ट ने कहा है, ‘वित्त मंत्री ने बजट में फिल्म इंडस्ट्री के बारे में बात तक नहीं की, जैसे कि हमारा कोई अस्तित्व ही ना हो। ना ही उन्होंने पायरेसी को लेकर कुछ कहा, जिससे इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।

बता दें बजट में भले ही फिल्म इंडस्ट्री का जिक्र ना हुआ हो लेकिन पायरेसी को कम करने के लिए बजट में साइबर सिक्योरिटी पर जोर दिया गया है। इसके अलावा फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड को खत्म करने के प्रावधान से ज्यादा संख्या में विदेशी स्टूडियो भारत में निवेश कर सकेंगे। इससे डिजिटल इंडिया अभियान से ऑनलाइन एंटरटेनमेंट कंटेंट का उपभोग बढ़ सकता है।

बजट पर कई निर्माता-निर्देशकों ने कई सवाल भी खड़े किए

  • कैलाश खेर के मुताबिक कोई भी क्रिएटिव इंडस्ट्री को गंभीरता से नहीं लेता है, जबकि देश के विकास के लिए एक बड़ी आय इस इंडस्ट्री के माध्यम से ही होती है। सरकार सिर्फ सर्विस टैक्स बढ़ाती है, लेकिन यह भूल जाती है कि हमें सपोर्ट की भी जरूरत है। यह गलत है, सरकार को हमारे बारे में सोचना चाहिए।
  • फिल्म डायरेक्टर कुनाल कोहली ने कहा है, ‘बजट में हमें शामिल ना करना बड़े दुख की बात है। संसद में जो लोग फिल्म जगत का नेतृत्व कर रहे हैं। यह उनकी जिम्मेदारी है कि वह हमारे प्वाइंट सरकार के सामने रखें। इतना ही नहीं हमारे देश में शूटिंग के लिए सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही सब्सिडी मिलती है, बाकी राज्यों में नहीं, जबकि विदेशों में ऐसा नहीं है।
  • मुकेश भट्‌ट ने सरकार से यह सवाल भी किया है कि खराब बिजनेस की वजह से कई सारे थिएटर्स लगातार बंद हो रहे हैं, ऐसे में सरकार उन्हें दोबारा खोलने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाती। सरकार थिएटर खोलने के लिए कोई टैक्स संबंधी छूट भी नहीं देती है। चीन में एक महीने में 16 नए थियेटर खुल रहे हैं, लेकिन यहां बंद हो रहे हैं। बड़ी हॉलीवुड फिल्मों को क्षेत्रीय भाषा में अनियंत्रित तौर पर डब किया जा रहा है, जिससे हमारी इंडस्ट्री मर रही है।
  • निर्माता हंसल मेहता ने कहा है कि फिल्म इंडस्ट्री के लिए केवल इस बार के बजट में बल्कि पिछले 20 साल से किसी सरकार ने कुछ नहीं किया है। सरकार के पास फिल्म इंडस्ट्री के लिए कोई योजना भी नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि फिल्में उनकी प्राथमिकता में नहीं हैं।