पार्टियों के गुमनाम चंदा पाने में सबसे आगे मोदी सरकार

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दिल्ली: अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की जहां एक तरह जंग तेज हो गई है। वहीं राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले गुमनाम चंदे को लेकर बहस भी छिड़ चुकी है। हाल ही में इन आंकड़ों का खुलासा खुद राजनीतिक दलों और नेताओं की कमाई और रिकॉर्ड पर नजर रखने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने रिपोर्ट जारी की है।

जिसके मुताबिक 2015-16 में बीजेपी, कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस और बसपा कुल 7 राष्ट्रीय पार्टियों को 20 हजार से ऊपर वाले चंदा से कुल 102 करोड़ 2 लाख रुपए की कमाई हुई। ये वो चंदा हैं जिन्हें देने वाले का नाम पार्टियों को बताना पड़ता है। जिसमें इस फंडिंग ब्योरे की पूरी जानकारी राजनीतिक पार्टियों की ओर चुनाव आयोग को भेजी जा चुकी है।

 दूसरे नंबर पर कांग्रेस पार्टी:

20 हजार से ज्यादा का चंदा पाने वालों में भाजपा सबसे आगे है। बीजेपी को 613 गुमनाम लोगों से 76 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। वहीं, दूसरे नंबर पर कांग्रेस पार्टी है, जिसे 918 गुमनाम लोगों ने 20 करोड़ रुपए का चंदा दिया है। 20 हजार से ऊपर के चंदे से बीजेपी और कांग्रेस के बाद सीपीएम को 1 करोड़ 81 लाख रुपए, सीपीआई को 1 करोड़ 58 लाख रुपए, एनसीपी को 71 लाख रुपए, तृणमूल कांग्रेस को 65 लाख रुपए की कमाई हुई है। बीएसपी को 20 हजार से ऊपर का चंदा देने वाला कोई नहीं मिला।

विश्लेषण में 2004 से 2015 के बीच राजनीतिक पार्टियों की फंडिंग में लगातार कैश ही मिल रहे हैं। 11 साल के दौरान पार्टियों को 63 फीसदी फंड नगद के तौर पर मिले हैं। 20 हजार से कम की फंडिंग को लेकर राजनीतिक पार्टियों में बीजेपी और कांग्रेस ने अब तक आयकर रिटर्न की जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी है। बसपा की ओर से बताया गया कि उन्हें 2015-16 में 20 हजार से ज्यादा का चंदा नहीं मिला है। बता दें कि राष्ट्रीय पार्टियों के कुल चंदे में 528 करोड़ तक की कमी आई है। ये कमी वित्तीय वर्ष 2014-15 मुकाबले 84 फीसदी कम है