भारत का ग्राउंड वाटर हुआ जहरीला, संसद में सरकार ने पेश किए डरवाने आंकड़े

ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी के मुख्य स्रोत हैंडपंप, कुएं, नदियां या तालाब हैं। यहां पानी सीधे जमीन से आता है। इसके अलावा गांवों में आमतौर पर इस पानी को साफ करने का कोई तरीका नहीं है

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नई दिल्ली: जीने के लिए पानी हमारे लिए जरुरी आवश्यकता है लेकिन हम जो पी रहे हैं वह जहर है ऐसा आपको पता चले तो आप क्या करेंगे पानी पीना फिर भी नहीं छोड़ेंगे। बीते दिन मंगलवार यानी 2 अगस्त को सरकार ने राज्यसभा में एक रिपोर्ट पेश करते हुए ऐसा ही कहा है।

दरअसल, मानसून सत्र के द्वारा राज्यसभा में सरकार ने पानी की क्वालिटी (Quality of Water Parliament Report 2022 ) को लेकर कुछ आंकड़े बताए, जो चौंकाने वाले ही नहीं डराने वाले भी हैं। सरकार के मुताबिक हम जो पानी पी रहे हैं वो ‘जहरीला’ है। उसने बताया कि देश के ज्यादातर राज्यों के ज्यादातर जिलों में भूजल (ग्राउंड वॉटर) में जहरीली धातुएं (टॉक्सिक मेटल्स) ज्यादा मात्रा में पाई गई हैं।

जल शक्ति मंत्रालय के एक दस्तावेज के मुताबिक देश की 80 फीसदी से ज्यादा आबादी को जमीन से पानी मिलता है। यानी अगर भूजल में खतरनाक धातुओं की मात्रा निर्धारित मानक से अधिक हो जाती है तो इसका अर्थ है कि पानी ‘जहरीला’ हो जा रहा है।

राज्यसभा में सरकार ने रिहायशी इलाकों की संख्या भी बताई है जहां पीने के पानी के स्रोत प्रदूषित हो गए हैं। आंकड़ों के मुताबिक 671 इलाके फ्लोराइड से, 814 इलाके आर्सेनिक से, 14,079 इलाके लोहे से, 9,930 इलाके लवणता (सैलिनिटी) से, 517 इलाके नाइट्रेट से और 111 इलाकों का पानी भारी धातुओं से प्रभावित हैं।

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जहरीले पानी की समस्या गांवों में अधिक-
शहरों से ज्यादा भारत गांवों में बसता है। इसलिए ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी के मुख्य स्रोत हैंडपंप, कुएं, नदियां या तालाब हैं। यहां पानी सीधे जमीन से आता है। इसके अलावा गांवों में आमतौर पर इस पानी को साफ करने का कोई तरीका नहीं है, जैसे शहरों में लोग फिल्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं।

कितने डरावने हैं आंकड़े: 
सरकार ने बताया कि देश में ग्राउंड वाटर की क्वालिटी कैसी है। उसके मुताबिक,

– 25 राज्यों के 209 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है।
– 29 राज्यों के 491 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में आयरन (लोहा) की मात्रा 1 मिलीग्राम प्रति लीटर से भी ज्यादा है।
– 11 राज्यों के 29 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में कैडमियम की मात्रा 0.003 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक पाई गई है।
– 16 राज्यों के 62 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में क्रोमियम की मात्रा 0.05 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है।
– 18 राज्यों में 152 जिले ऐसे हैं जहां भूजल में 0.03 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक यूरेनियम पाया गया है।

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जहरीले पानी से कौनसी होगी बीमारी-
– अधिक आर्सेनिक से त्वचा रोगों और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
– आयरन की मात्रा ज्यादा होने पर नर्वस सिस्टम से संबंधित बीमारियां, जैसे अल्जाइमर और पार्किंसन हो सकता है।
– पानी में लेड की अधिक मात्रा भी हमारे नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकती है।
– कैडमियम होने पर किडनी की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
– क्रोमियम की अधिक मात्रा से छोटी आंत में डिफ्यूज हाइपरप्लासिया हो सकता है, जिससे ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है।
– पीने के पानी में यूरेनियम की अधिक मात्रा से किडनी की बीमारियों और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

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केन्द्र सरकार ने ‘जहरीले पानी’ पर क्या दिया समाधान-
केंद्र सरकार ने संसद को बताया कि पानी राज्य का विषय है, इसलिए लोगों को साफ पीने का पानी उपलब्ध कराना राज्यों की जिम्मेदारी है। हालांकि, साफ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार कई योजनाएं भी चला रही है। 21 जुलाई को सरकार ने लोकसभा को बताया कि अगस्त 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत की गई थी। इसके तहत 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल के जरिए पेयजल पहुंचाया जाएगा।

सरकार के जवाब के मुताबिक फिलहाल देश में अब तक 19.15 करोड़ ग्रामीण घरों में से 9.81 करोड़ घरों में नल के पानी की आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2021 में ‘अमृत 2.0’ योजना की शुरुआत की। सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि इसके तहत अगले 5 साल यानी 2026 तक सभी शहरों में नल के पानी की आपूर्ति करने का लक्ष्य रखा गया है।

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