Breaking: ज्ञानवापी सर्वे रिपोर्ट हुई सार्वजनिक, मंदिर के मिले 32 सबूत, जानिए और क्या-क्या पता चला?

भगवान शिव के 3 नाम भी मिले हैं। वो हैं- जनार्दन, रुद्र और ओमेश्वर। मस्जिद के सारे पिलर पहले मंदिर के थे, जिन्हें मॉडिफाई कर मस्जिद में इस्तेमाल किया गया।

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Gyanvapi Mosque News: वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट गुरुवार रात सार्वजनिक कर दी गई। 839 पेज की रिपोर्ट हिंदू-मुस्लिम पक्ष को सौंपी गई है। इसके बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने दावा किया है कि रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 सबूत मिले हैं। दीवारों पर कन्नड़, तेलुगु, देवनागरी और ग्रंथा भाषाओं में लेखनी मिली है।

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उन्होंने कहा- भगवान शिव के 3 नाम भी मिले हैं। वो हैं- जनार्दन, रुद्र और ओमेश्वर। मस्जिद के सारे पिलर पहले मंदिर के थे, जिन्हें मॉडिफाई कर मस्जिद में इस्तेमाल किया गया। मस्जिद की पश्चिमी दीवार से साफ पता चला है कि वह मंदिर की दीवार है। यह दीवार 5 हजार साल पहले नागर शैली में बनी है। दीवार के नीचे 1 हजार साल पुराने अवशेष भी मिले हैं। हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि रिपोर्ट पढ़ने के बाद ही कुछ कह सकेंगे।

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क्या बताया हिंदू पक्ष के वकील ने
विष्णु शंकर जैन ने कहा, ”मस्जिद का गुंबद महज 350 साल पुराना है। हनुमान और गणेश की खंडित मूर्तियां भी मिली हैं। दीवार पर त्रिशूल की आकृति मौजूद है। मस्जिद में औरंगजेब काल का शिलापट भी मिला है। तहखाना S2 में भी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। ASI ने जदुनाथ सरकार के इस निष्कर्ष पर भरोसा जताया है कि 2 सितंबर 1669 को मंदिर ढहा दिया गया था।

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यूएस के वैज्ञानिकों ने की है स्टडी
ASI ने 84 दिनों में ज्ञानवापी परिसर में GPR, फोटोग्राफ, वीडियोग्राफी समेत सभी पहलुओं पर सर्वे किया था। ASI ने 36 दिन में इसकी रिपोर्ट तैयार की। इसमें GPR रिपोर्ट तैयार करने में 30 दिन लगे। इसे अमेरिका के GPR सर्वे एक्सपर्ट ने तैयार की है। हैदराबाद के साथ अमेरिका के वैज्ञानिकों की टीम ने कई दिनों तक 10 मीटर तक गहराई का गहन अध्ययन किया गया था। फिर अमेरिका में 400 से लेकर 900 मेगाहर्ट्ज और उससे अधिक रेंज के रडार की मदद से रिपोर्ट बनाई गई।

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इस विवाद को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ?

  • काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी केस में 1991 में वाराणसी कोर्ट में पहला मुकदमा दाखिल हुआ था। याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की ओर से सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय बतौर वादी इसमें शामिल हैं।
  • मुकदमा दाखिल होने के कुछ महीने बाद सितंबर 1991 में केंद्र सरकार ने पूजा स्थल कानून बना दिया। ये कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
  • अयोध्या का मामला उस वक्त कोर्ट में था इसलिए उसे इस कानून से अलग रखा गया था। लेकिन ज्ञानवापी मामले में इसी कानून का हवाला देकर मस्जिद कमेटी ने याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी। 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया था।
  • 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी मामले में स्टे ऑर्डर की वैधता केवल छह महीने के लिए ही होगी। उसके बाद ऑर्डर प्रभावी नहीं रहेगा।
  • इसी आदेश के बाद 2019 में वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरू हुई। 2021 में वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दे दी।
  • आदेश में एक कमीशन नियुक्त किया गया और इस कमीशन को 6 और 7 मई को दोनों पक्षों की मौजूदगी में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी के आदेश दिए गए। 10 मई तक अदालत ने इसे लेकर पूरी जानकारी मांगी थी।
  • छह मई को पहले दिन का ही सर्वे हो पाया था, लेकिन सात मई को मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया। मामला कोर्ट पहुंचा।
  • 12 मई को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कमिश्नर को बदलने की मांग खारिज कर दी और 17 मई तक सर्वे का काम पूरा करवाकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि जहां, ताले लगे हैं, वहां ताला तुड़वा दीजिए। अगर कोई बाधा उत्पन्न करने की कोशिश करता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई करिए, लेकिन सर्वे का काम हर हालत में पूरा होना चाहिए।
  • 14 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया। याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पर रोक लगाने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने से इनकार करते हुए कहा था कि हम बिना कागजात देखे आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। अब मामले में 17 मई को सुनवाई होगी।
  • 14 मई से ही ज्ञानवापी के सर्वे का काम दोबारा शुरू हुआ। सभी बंद कमरों से लेकर कुएं तक की जांच हुई। इस पूरे प्रक्रिया की वीडियो और फोटोग्राफी भी हुई।
  • 16 मई को सर्वे का काम पूरा हुआ। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि कुएं से बाबा मिल गए हैं। इसके अलावा हिंदू स्थल होने के कई साक्ष्य मिले। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कहा कि सर्वे के दौरान कुछ नहीं मिला। हिंदू पक्ष ने इसके वैज्ञानिक सर्वे की मांग की। मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया।
  • 21 जुलाई 2023 को जिला अदालत ने हिंदू पक्ष की मांग को मंजूरी देते हुए ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दे दिया।
  • 24 जनवरी 2024 को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया। जिला जज ने वादी पक्ष को सर्वें रिपोर्ट दिए जाने का आदेश दिया है।
  • 25 जनवरी 2024 को रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर मिला है। इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई है।

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